इस तरह भगवान श्री कृष्ण और राधा बने आध्यात्मिक प्रेम के प्रतीक
भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं भारतीय जनमानस में रच बस गई है। उन्ही लीलाओं में उनकी प्रेम लीला भी शामिल है। भगवान श्री कृष्ण और राधा आध्यात्मिक प्रेम के प्रतीक बन गए हैं। दोनों एक दूसरे के हृदय में रहते हैं।
हालांकि एक बार ऐसा भी हुआ था कि जब राधा श्री कृष्ण से दूर दूर रहने लगी यहां तक कि राधा ने कृष्ण से बात करने से भी मना कर दिया।
उसका यह कारण था कि श्री कृष्ण ने कंस के भेजे हुए असुर अरिष्टासुर का वध कर दिया था। अरिष्टासुर बैल का रूप धारण कर आया था। यही वजह थी कि राधा और अन्य गोपियों ने कृष्ण को गौ का हत्यारा मान लिया।
कृष्ण राधा को समझाए कि उन्होंने बैल को नहीं बल्कि एक असुर को मारा है। हालांकि राधा यह सुनकर भी नहीं मानी इसके बाद श्री कृष्ण ने अपनी ऐडी जमीन पर पटकी और वहां जल की धारा बहने लगी। जिससे एक कुंड बन गया।
श्री कृष्ण सभी तीर्थों से यहां आने के लिए कहा और सभी तीर्थ वहां उपस्थित हो गए। इसके बाद सभी कुंड में प्रवेश कर गए।
श्री कृष्ण ने इस कुंड में स्नान किया स्नान के बाद उन्होंने कहा कि इस कुंड में स्नान करने वाले को एक ही स्थान पर सभी तीर्थों में स्नान करने का पुण्य मिल जाएगा। इस घटना की निशानी आज भी गोवर्धन पर्वत की तलहटी में कृष्ण कुंड के रूप में उपस्थित है।
जय श्री कृष्णा 🙏🚩