
अहंकार 💐
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बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक मूर्तिकार (मूर्ति बनाने वाला) रहता था। वह ऐसी मूर्तियाँ बनता था, जिन्हें देख कर किसी भी को मूर्तियों के जीवित होने का भ्रम हो जाता था। आस-पास के सभी गाँवों में उसकी प्रसिद्धि थी। लोग उसकी मूर्तिकला के कायल थे इसीलिए उस मूर्तिकार को अपनी कला पर बड़ा घमंड था।
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जीवन के सफर में एक समय ऐसा भी आया जब उसे लगने लगा कि अब उसका अंतिम समय निकट आ गया है, वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएगा तो वह परेशानी में पड़ गया।
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यमदूतों को भ्रमित करने के लिए उसने एक योजना बनाई उसने हुबहू अपने जैसी दस मूर्तियाँ बनाई और खुद उन मूर्तियों के बीच जा कर बैठ गया।
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यमदूत जब उसे लेने आए तो एक जैसी ग्यारह आकृतियों को देखकर दंग रह गए वे पहचान नहीं कर पा रहे थे कि उन मूर्तियों में से असली मनुष्य कौन है? वे सोचने लगे कि अब क्या किया जाए? अगर मूर्तिकार के प्राण नहीं ले सके तो सृष्टि का नियम टूट जाएगा और सत्य परखने के लिए मूर्तियों को तोड़ा गया तो कला का अपमान हो जाएगा।
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अचानक एक यमदूत को मानव स्वभाव के सबसे बड़े दुर्गुण अहंकार को परखने का विचार आया उसने मूर्तियों को देखते हुए कहा, “कितनी सुन्दर मूर्तियाँ बनी हैं। लेकिन मूर्तियों में एक त्रुटि है, काश मूर्ति बनाने वाला मेरे सामने होता, तो में उसे बताता मूर्ति बनाने में क्या गलती हुई है?”
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यह सुनकर मूर्तिकार का अहंकार जाग उठा, उसने सोचा कि मैंने अपना पूरा जीवन मूर्तियाँ बनाने में समर्पित कर दिया, भला मेरी मूर्तियों में क्या गलती हो सकती है?
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वह तुरंत बोल उठा, “कैसी त्रुटि?”
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झट से यमदूत ने उसे पकड़ लिया और कहा, “बस यही गलती कर गए तुम अपने अहंकार में, कि बेजान मूर्तियाँ बोला नहीं करतीं।”
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🌷इतिहास गवाह है, अहंकार ने सदैव मनुष्य को परेशानी और दुःख के सिवा कुछ नहीं दिया।🌷
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🙏🙏 जय श्री राधेश्याम जी 🙏🙏
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