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Spirituality
जब मनुष्य स्वयं यह अनुभव कर लेता है कि ‘मैं शरीर नहीं हूँ; शरीर मेरा नहीं है’, तब कामना, ममता और तादात्म्य—तीनों मिट जाते हैं। यही वास्तविक वैराग्य है-श्रीमद्भगवद्गीता
darshansamikhya Aug 24, 2025 0

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक १५-३ पर विशेष बात जब मनुष्य स्वयं यह अनुभव कर लेता है कि ‘मैं शरीर नहीं हूँ; शरीर…

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मानव मन की नकारात्मक ऊर्जा, जैसे क्रोध और ईर्ष्या, समस्याओं और रोगों का मूल कारण है। धर्म हमें इन प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रखने और सकारात्मक कर्म करने का संदेश देते हैं। सकारात्मक विचार प्रगति लाते हैं, जबकि नकारात्मक विचार पतन की ओर ले जाते हैं। संतुलित जीवन के लिए आंतरिक ऊर्जा को सही दिशा देना आवश्यक है
darshansamikhya Aug 23, 2025 0

मन में उत्पन्न नकारात्मक भाव दिखते नहीं पर जीवन को निगल जाते हैं, इनसे बचें=======================⭕मानव मन की नकारात्मक ऊर्जा, जैसे…

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जो पिता के पैरों को छूता हैवो कभी गरीब नहीं होता।जो मां के पैरों को छूता हैवो कभी बदनसीब नही होता।जो भाई के पैराें को छूता हैवो कभी गमगीन नही होता।ऊपरवाला जिन्हे खून के रिश्ते में बांधना भूल जाता है,उन्हें सच्चे मित्र बनाकर अपनी भूल सुधार देता है
darshansamikhya Aug 22, 2025 0

ऊपरवाला जिन्हे खून के रिश्ते में बांधना भूल जाता है,उन्हें सच्चे मित्र बनाकर अपनी भूल सुधार देता हैजिनके पास अपने…

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जीवन की सुरक्षा के लिए भोजन वस्त्र मकान यान इत्यादि भौतिक वस्तुएं आवश्यक हैं। इनके बिना जीवन सुख पूर्वक नहीं चल सकता।” यह सत्य है।परंतु यह भी इतना ही सत्य है, कि “इन भौतिक पदार्थों का यदि आप अपनी आवश्यकता से अधिक संग्रह करेंगे, तो ये भौतिक पदार्थ उतना ही आपका तनाव भी बढ़ाएंगे।
darshansamikhya Aug 21, 2025 0

“जीवन की सुरक्षा के लिए भोजन वस्त्र मकान यान इत्यादि भौतिक वस्तुएं आवश्यक हैं। इनके बिना जीवन सुख पूर्वक नहीं…

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हमारी सहनशीलता यदि अधर्म को प्रश्रय दे रही हो तो वो स्वयं के साथ साथ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए भी अति अनिष्टकारी और कष्टकारी बन जाती है-v k sukla
darshansamikhya Aug 20, 2025 0

🚩 भगवान श्री कृष्ण हमारी सहनशीलता यदि अधर्म को प्रश्रय दे रही हो तो वो स्वयं के साथ साथ सम्पूर्ण…

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मनुष्य अपनेमें कमीका अनुभव करता है तो दूसरोंका सहारा लेता है। जबतक यह परमात्माका आश्रय नहीं लेगा, तबतक उसकी कमी दूर नहीं होगी और वह दुःख पाता ही रहेगा। जीव परमात्माका ही अंश है-पूज्य स्वामी रामसुखदासजी
darshansamikhya Aug 19, 2025 0

मनुष्य अपनेमें कमीका अनुभव करता है तो दूसरोंका सहारा लेता है। जबतक यह परमात्माका आश्रय नहीं लेगा, तबतक उसकी कमी…

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अपने हृदय में परमात्मा को अपनी पूरी शक्ति से पकड़ कर रखो, उन्हें कभी भी छोड़ो मत। उन्हें पकड़ कर चलते रहो, चलते रहो, और चलते रहो। कभी भी, कहीं भी रुको मत। रुकते ही पतन और विनाश आरंभ होने लगता है। हमारी पकड़ में केवल परमात्मा ही आते हैं, और कोई या कुछ आता भी नहीं है-कृपा शंकर
darshansamikhya Aug 18, 2025 0

अपने हृदय में परमात्मा को अपनी पूरी शक्ति से पकड़ कर रखो, उन्हें कभी भी छोड़ो मत। उन्हें पकड़ कर…

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निधिवन// निधिवन, वृंदावन का वह पवित्र स्थान है, जो भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की अनंत लीलाओं का साक्षी माना जाता है। यह स्थान जितना पवित्र है, उतना ही रहस्यमय और चमत्कारों से भरा हुआ। इसके कण-कण में कुछ ना कुछ ऐसा छिपा है,कहा जाता है कि प्रत्येक रात निधिवन में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी अपनी गोपियों के साथ दिव्य रास रचाते हैं
darshansamikhya Aug 17, 2025 0

निधिवन .निधिवन, वृंदावन का वह पवित्र स्थान है, जो भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की अनंत लीलाओं का साक्षी माना…

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा//स्कन्दपुराण के मतानुसार जो भी व्यक्ति जानकर भी कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को नहीं करता, वह मनुष्य जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है। ब्रह्मपुराण का कथन है कि कलियुग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी में अट्ठाइसवें युग में देवकी के पुत्र श्रीकृष्ण उत्पन्न हुए थे।
darshansamikhya Aug 16, 2025 0

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा? जन्माष्टमी स्कन्दपुराण के मतानुसार जो भी व्यक्ति जानकर भी कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को नहीं करता,…

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“ईश्वर में सैकड़ों हजारों गुण हैं। बहुत उत्तम उत्तम गुण हैं।” उनमें से दो-चार मुख्य गुण इस प्रकार से हैं। “ईश्वर सर्वव्यापक है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है, और न्यायकारी है आदि आदि।” “यदि इन दो चार गुणों को भी संसार के लोग अच्छी प्रकार से समझ लें, और उसके अनुसार अपना जीवन आचरण सुधार लें, तो सबका कल्याण हो जाएगा।”
darshansamikhya Aug 15, 2025 0

वेदों में बताया है, कि “ईश्वर में सैकड़ों हजारों गुण हैं। बहुत उत्तम उत्तम गुण हैं।” उनमें से दो-चार मुख्य…

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Darshan smikhya the weekly odia newspaper supplement publish from since 1988 having a large number of readers, viewers in state of odisha and covered 30 districts in 30 year having approximately 30000 well wishers

Editor -Baikunta Nath Jena ,Cuttack Odisha, Ph - 9937465240, RNI NO -ODIODI/2018/77356

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