साधना, ध्यान, मन्त्र जप आदि के नियम//जिस आसन पर आप अनुष्ठान, पूजा या साधना करते है उसे कभी पैर से नहीं सरकाना चाहिए,ऐसा करने से आसन दोष लगता है और उस आसन पर कि जाने वाली साधनाये सफल नहीं होती है,अतः आसन को केवल हाथो से ही बिछाये – साभार~ पं देवशर्मा

साधना, ध्यान, मन्त्र जप आदि के नियम01 जिस आसन पर आप अनुष्ठान, पूजा या साधना करते है उसे कभी पैर से नहीं सरकाना चाहिए, कुछ लोगो कि आदत होती है…

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ମୋକ୍ଷଦା ଏକାଦଶୀ//ମାର୍ଗଶିର ମାସ ଶୁକ୍ଳ ପକ୍ଷ ଏକାଦଶୀ କୁ ମୋକ୍ଷଦା ଏକାଦଶୀ ଭାବେ ପାଳନ କରାଯାଏ । ଏହି ଏକାଦଶୀ କୁ ପାଳନ କରିବା ଦ୍ୱାରା ଜୀବ ନିଜର ମୁକ୍ତି ସହିତ ନିଜ ପିତୃ ପୁରୁଷ ମାନଙ୍କୁ ଭି ମୁକ୍ତି ଦେଇ ଥାଏ ବୋଲି ଶାସ୍ତ୍ର ବିଶ୍ୱାସ ରହିଅଛି ।

ll ମୋକ୍ଷଦା ଏକାଦଶୀ ବା ବୈକୁଣ୍ଠ ଏକାଦଶୀ ବା ମୌନ ଏକାଦଶୀ ବା ଗୋମତୀ ଏକାଦଶୀ ll ମାର୍ଗଶିର ମାସ ଶୁକ୍ଳ ପକ୍ଷ ଏକାଦଶୀ କୁ ମୋକ୍ଷଦା ଏକାଦଶୀ ଭାବେ ପାଳନ କରାଯାଏ । ଏହି ଏକାଦଶୀ କୁ ପାଳନ କରିବା…

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नेत्रहीन संत//आजकल हमारा मध्यमवर्ग परिवार संस्कार विहीन होता जा रहा है। थोड़ा सा पद, पैसा व प्रतिष्ठा पाते ही दूसरे की उपेक्षा करते हैं, जो उचित नहीं है। मधुर भाषा बोलने में किसी प्रकार का आर्थिक नुकसान नहीं होता है। अतः मीठा बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिये.

नेत्रहीन संत एक बार एक राजा अपने सहचरों के साथ शिकार खेलने जंगल में गया था। वहाँ शिकार के चक्कर में एक दूसरे से बिछड़ गये और एक दूसरे को…

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कहाँ राजा भोज- कहाँ गंगू तेली यह कहावत क्यों बनी…कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य – साभार~ पं देवशर्मा. Ayodhya

कहाँ राजा भोज- कहाँ गंगू तेली यह कहावत क्यों बनी ?〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना था कि "कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली" आमतौर…

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सत्य मानना, सत्य बोलना और सत्य आचरण करना//सत्य का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। सत्य को समझना कहीं सरल भी होता है, और कहीं कठिन भी।.

सत्य मानना, सत्य बोलना और सत्य आचरण करना"प्रत्येक व्यक्ति सुख शांति चाहता है। सुख शांति मिलती है सत्य को जानने मानने बोलने और व्यवहार करने से।"सत्य का क्षेत्र बहुत विस्तृत…

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ବଣମଲ୍ଲୀର ବାସ୍ନା//ଜଣେ ଅଳସୁଆ ଲୋକର ଅନେକ ସ୍ବପ୍ନ ଥିବା ସତ୍ତ୍ୱେ ସେସବୁକୁ ପୂରଣ କରିବାରେ ସକ୍ଷମ ହୋଇ ପାରି ନ ଥାଏ l ଜଣେ କୃପଣ ଲୋକ ପ୍ରଚୁର ପରିମାଣରେ ଅର୍ଥ ସଞ୍ଚୟ କରିଥିବା ସତ୍ତ୍ୱେ ସେ କେବହେଲେ ଜଣେ ଧନୀ ବ୍ୟକ୍ତି ହୋଇପାରେ ନାହିଁ l ଜଣେ ମିଛୁଆ କିମ୍ବା କପଟୀ ଲୋକ ଯେତେ ମନ୍ଦିର କିମ୍ବା ତୀର୍ଥସ୍ଥାନ ଭ୍ରମଣ କଲେ ମଧ୍ୟ ଲୋକ ମାନଙ୍କର ବିଶ୍ୱାସ ଜିତି ପାରେ ନାହିଁ

ବଣମଲ୍ଲୀର ବାସ୍ନା ଜଣେ ଅଳସୁଆ ଲୋକର ଅନେକ ସ୍ବପ୍ନ ଥିବା ସତ୍ତ୍ୱେ ସେସବୁକୁ ପୂରଣ କରିବାରେ ସକ୍ଷମ ହୋଇ ପାରି ନ ଥାଏ l ଜଣେ କୃପଣ ଲୋକ ପ୍ରଚୁର ପରିମାଣରେ ଅର୍ଥ ସଞ୍ଚୟ କରିଥିବା ସତ୍ତ୍ୱେ ସେ କେବହେଲେ ଜଣେ…

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ସତ୍ୟର ଆଶ୍ରୟ //ଯିଏ ସକଳ ବସ୍ତୁର ମୂଳ କାରଣ, ତାହାକୁ ଜାଣିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରନ୍ତୁ । ତାପରେ ସତ୍ଯ ତୁମପାଇଁ ଆପେ ଆପେ ଉନ୍ମୋଚିତ ହୋଇଯିବ ।

ଯିଏ ସକଳ ବସ୍ତୁର ମୂଳ କାରଣ, ତାହାକୁ ଜାଣିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରନ୍ତୁ । ତାପରେ ସତ୍ଯ ତୁମପାଇଁ ଆପେ ଆପେ ଉନ୍ମୋଚିତ ହୋଇଯିବ । ପ୍ରଥମେ ସଂଖ୍ଯାଟିଏ ଲେଖ ଏବଂ ତାପରେ ଯେତେ ଇଛା ଶୂନ ଯୋଗ କର, ତେବେ ଯାଇ…

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भगवानशिवकोभूतनाथक्यों कहा जाता है.तामस से तामस असुर, दैत्य, यक्ष,भूत, प्रेत, पिशाच, बेताल, डाकिनी,शाकिनी, सर्प, सिंह, सभी जिसे पूजें, वही शिव ‘परमेश्वर’ और ‘भूतेश्वर’ हैं।

भगवानशिवकोभूतनाथक्योंकहाजाता_है? भूतनाथ भूतपति, या भूतेश्वर भगवान शिव ‘भूत’ शब्द का अर्थ है पंचभूत अर्थात् पृथिवी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इसका दूसरा अर्थ है प्राणि समूह अर्थात् समस्त सजीव सृष्टि।…

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सोलह कलाओं का अर्थ क्या है//जिनका संबंध हमारे मन और मस्तिष्क से होता है, जो व्यक्ति मन और मस्तिष्क से अलग रहकर बोध करने लगता है वहीं 16 कलाओं में गति कर सकता है।

सोलह कलाओं का अर्थ क्या है श्री राम 12 कलाओं के ज्ञाता थे तो भगवान श्रीकृष्ण सभी 16 कलाओं के ज्ञाता हैं। चंद्रमा की सोलह कलाएं होती हैं। सोलह श्रृंगार…

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ନିମନ୍ତ୍ରଣ ବିନା ଅତିଥି ହୁଏନା ନିଜେ ରଖ ନିଜ ସମ୍ମାନ,ଧନ ଯେତେ ଥିଲେ ଚରିତ୍ର ନଥିଲେ ଧିକ ସେ ମଣିଷ ଜୀବନ।ଜୀବନର ରୋଜଗାର ଧନ ଦୌଲତରେ ମପାଯାଏ ନାହିଁ।ଅନ୍ତିମ ଯାତ୍ରାର ଭିଡ ଜଣେଇ ଦିଏ କିଏ କଣ ଆଉ କେମିତି ରୋଜଗାର କରିଥିଲା।

ନିମନ୍ତ୍ରଣ ବିନା ଅତିଥି ହୁଏନାନିଜେ ରଖ ନିଜ ସମ୍ମାନ,ଧନ ଯେତେ ଥିଲେ ଚରିତ୍ର ନଥିଲେଧିକ ସେ ମଣିଷ ଜୀବନ। ଜୀବନରେ ଯାହା କରିବା ପାଇଁ ହୃଦୟରୁ ଶ୍ରଦ୍ଧା, ଉତ୍ସାହ ଆସେ ସେହି ଜିନିଷ କରିବା ପାଇଁ ନିଜ ମନ,ପ୍ରାଣ ମଧ୍ୟ ଲଗେଇ…

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