मनुष्य की सम्पत्ति न दौलत है न धन है, उसकी सम्पत्ति तो उसका हंसता हुआ परिवार और संतुष्ट मन है.!…
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मनुष्य की सम्पत्ति न दौलत है न धन है, उसकी सम्पत्ति तो उसका हंसता हुआ परिवार और संतुष्ट मन है.!…
Read Moreଭଗବାନ ଶିବ କାହିଁକି କ୍ରୋଧିତ ହୁଅନ୍ତି?, ଜାଣନ୍ତୁ ଶିବ ପୁରାଣରେ ଥିବା ଏହି ୫ ଟି କାରଣ ଶିବ ପୁରାଣ ଅନୁଯାୟୀ ଶିବଙ୍କୁ ତ୍ରିଦେବରେ ସବୁଠାରୁ ଶକ୍ତିଶାଳୀ…
Read Moreनमक .एक बार सत्यभामा जी ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, “मैं आप को कैसी लगती हूँ ?”.भगवान जी ने कहा,…
Read Moreभगवान राम और श्री कृष्ण दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं लेकिन भगवान राम ने कभी इस…
Read Moreमाता सीता की कथाभगवान श्रीराम राजसभा में विराज रहे थे उसी समय विभीषण वहां पहुंचे। वे बहुत भयभीत और हड़बड़ी…
Read Moreआज का श्रीमद् भागवत भाव----------------------- ( 30 - 7 - 25 ) भागवत कहती है , कि ईश्वर के चरणों…
Read Moreनागपंचमी के पावन पर्व की शुभकामनाएं — हिन्दू संस्कृति ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोड़ने का प्रयत्न किया…
Read Moreभगवान शिव जी ही “हनुमान” थे ! एक बार पार्वती जी ने शंकर जी से कहा – भगवन अपने इस…
Read Moreआज का श्रीमद् भागवतम् भाव भागवत कहती है , कि भगवान कृपालु हैं , दयालु हैं , लेकिन सुख –…
Read Moreऋषि चिंतन मानव जीवन श्रेष्ठ क्यों है?मनुष्य जीवन को “सबसे श्रेष्ठ” मानने का आधार, उसके अंदर मौजूद “अच्छे गुण” हैं…
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