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‘मेरा ट्रांसफर करवा दो थाने से , पुलिस ऑफिस मुझे बहुत दूर बयान करवाने आना पड़ता है , शरीर भी थकता है और मन भी ‘

ये शशि ने कहा था अपनी एक साथी कर्मचारी से कुछ ही दिनों पहले और कल दिन में वो फिर एक पीड़ित का बयान दर्ज करवाने कासिमपुर से हरदोई आयी पर वापस नही पहुंच सकी , वापसी के रास्ते मे ही शशि का अपनी सरकारी जीप के एक तालाब में पलट जाने के चलते दुःखद निधन हो गया । शशि एक मेहनतकश पुलिस कांस्टेबल थी जिसकी एक 6 साल की छोटी बच्ची है जो शायद जान भी नही पाई होगी कि उसकी मम्मी अब उसे कभी नही मिल पाएगीं ।

पुलिस को कोसना आसान है , बहुत आसान है । पुलिस के सिपाहियों , पुलिस के दरोगाओं पर जब बड़े साहब लोग कोई कठोर एक्शन लेते हैं तो आम लोग ताली बजाकर खुश होते हैं भले ही कोई इतना बड़ा दोष न रहा हो उनका या कोई जान पहचान तक ना रही हो । बस सुन लिया कि किसी पुलिस वाले को फिट किया गया है इतने से ही खुश हो लिए ।

पुलिस वालों पर काम का बोझ , घर परिवार से उनकी दूरी ये कोई नही समझना चाहता । तीज त्योहार अपने गांव घर मे इन पुलिस वालों ने कब मनाया होगा इसका पुलिस कर्मियों को स्वंय ही ध्यान नही होगा । अपनी या परिवार खानदान के लोगों की

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