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Ravan Charitra: लंका पति रावण ने सीता माता को अपहरण करके 2 साल तक अपनी कैद में रखा था. लेकिन इस दौरान रावण ने एक बार भी माता सीता को छुआ भी नहीं था. क्या कारण था कि रावण ने सीता माता को हाथ भी नहीं लगाया था? क्या रावण श्री राम से डरता था? या फिर रावण शापित था? 

रावण ने जब सीता माता को कैद करके अशोक वाटिका में रखा तो उस अशोक वाटिका में एक राक्षसी माता सीता की रक्षा के लिए रखी गई. उस राक्षसी का नाम था त्रिजटा. त्रिजटा के साथ और भी राक्षसी थी अशोक वाटिका में रहती थी जो माता सीता को डराती थी और उनको रावण से विवाह करने के लिए उकसाती थी. लेकिन त्रिजटा नेक और प्यार से बोलने वाली थी.त्रिजटा माता सीता की मदद करती और उनसे प्रेम से बात करती थी. त्रिटता ने माता सीता को अविंध्य नामक राक्षस का संदेश दिया था और ये बताया था प्रभु श्री राम, अपने भाई लक्ष्मण के लंका माता सीता को छुड़वाने की कोशिश कर रहे है, जिसके लिए उन्होंने शक्तिशाली वनराज सुग्रीव के साथ मित्रता की है.

इन सभी बातों के साथ त्रिजटा राक्षसी ने माता सीता को एक राज की बात भी बताई और ये बताया कि रावण माता सीता का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता, माता सीता रावण से डरना छोड़ दें. रावण कभी भी माता सीता को छु भी नहीं सकता.

इस पूरी बात को समझाते हुए राक्षसी त्रिजटा ने एक कथा सीता माता को सुनाई रावण ने काम वासना के साथ कुबेर के पुत्र नलकुबेर की पत्नी अप्सरा, रंभा को छुआ था तो रंभा ने गुस्से में रावण को शाप दे दिया था कि रावण किसी भी पराई स्त्री के साथ उसकी इच्छा बिना संबंध नहीं बना पाएगा और अगर ऐसा किया तो वह भस्म हो जाएगा. इसी बात से डर कर या श्रापित होने की वजह से रावण ने कभी भी सीता माता को छुआ नहीं था.

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