Spread the love

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान शिव का धनुष ‘पिनाक’ ऋषि कण्व के शरीर पर उगे बांस से बना था. देवशिल्पी विश्वकर्मा ने इस बांस से शिव का धनुष बनाया था.
कण्व ऋषि की तपस्या की कहानी:
कण्व ऋषि कठोर तपस्या कर रहे थे.
तपस्या के दौरान उनका शरीर दीमक ने बांबी बना दिया था.
बांबी और उसके आस-पास की मिट्टी के ढेर पर सुंदर गठीले बांस उग आए थे.
कण्व की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मदेव ने उन्हें वरदान दिया.
ब्रह्मदेव ने दिव्य बांस देवशिल्पी विश्वकर्मा को सौंप दिए.
विश्वकर्मा ने उस बांस से दो शक्तिशाली धनुष बनाए.
पिनाक धनुष की खासियतें:
यह धनुष बहुत शक्तिशाली था.
इस धनुष से ही त्रिपुरासुर का वध करके भगवान शिव ने देवताओं को अभय वरदान दिया था.
इस धनुष की टंकार मात्र से पृथ्वी थरथरा उठती थी.
यह धनुष राजा जनक के पास धरोहर के रूप में रखा हुआ था.
सीता स्वयंवर में श्रीराम ने इस धनुष को तोड़कर सीता जी से विवाह किया था.
शिव धनुष ‘पिनाक’ के बारे में कुछ और जानकारीः
इस धनुष को दिव्य बांस देवशिल्पी विश्वकर्मा ने बनाया था 
परशुराम जी ने राजा जनक को यह धनुष दिया था 
सीता स्वयंवर में भगवान राम ने इस धनुष को उठाकर प्रत्‍यंचा चढ़ाई थी, जिससे यह टूट गया था 
भगवान राम के धनुष ‘कोदंड’ के बारे में कुछ और जानकारीः 
भगवान राम ने इसे स्वयं बनाया था
यह धनुष साढ़े पांच हाथ लंबा था
शास्त्रों में इस धनुष की लंबाई भी 7 पर्वों के बराबर बताई गई है,

शास्त्रों में वर्णन है कि देव धनुष को सर्वप्रथम महादेव ने धारण किया था फिर उन्होंने भगवान श्री परशुराम जी को दिया। प्रभु श्री राम ने माता सीता के स्वयंवर के समय इसी धनुष को तोड़कर देव धनुष को नया स्वरूप प्रदान किया। जिसके माध्यम से उन्होंने रावण का वध किया। प्रभु श्री राम के बाद देव धनुष राजा भरत और द्रोण से होते हुए भीष्म पितामह तक पहुंचा। युवा भीष्म ने इसी धनुष की मदद से गंगा नदी का प्रवाह रोक दिया था। यही धनुष अर्जुन के पास था और अंत में अर्जुन शिष्य सात्यकी के पास देव धनुष होने का वर्णन मिलता है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *