कहाँ राजा भोज- कहाँ गंगू तेली यह कहावत क्यों बनी…कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य – साभार~ पं देवशर्मा. Ayodhya

कहाँ राजा भोज- कहाँ गंगू तेली यह कहावत क्यों बनी ?〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना था कि "कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली" आमतौर…

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सत्य मानना, सत्य बोलना और सत्य आचरण करना//सत्य का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। सत्य को समझना कहीं सरल भी होता है, और कहीं कठिन भी।.

सत्य मानना, सत्य बोलना और सत्य आचरण करना"प्रत्येक व्यक्ति सुख शांति चाहता है। सुख शांति मिलती है सत्य को जानने मानने बोलने और व्यवहार करने से।"सत्य का क्षेत्र बहुत विस्तृत…

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ବଣମଲ୍ଲୀର ବାସ୍ନା//ଜଣେ ଅଳସୁଆ ଲୋକର ଅନେକ ସ୍ବପ୍ନ ଥିବା ସତ୍ତ୍ୱେ ସେସବୁକୁ ପୂରଣ କରିବାରେ ସକ୍ଷମ ହୋଇ ପାରି ନ ଥାଏ l ଜଣେ କୃପଣ ଲୋକ ପ୍ରଚୁର ପରିମାଣରେ ଅର୍ଥ ସଞ୍ଚୟ କରିଥିବା ସତ୍ତ୍ୱେ ସେ କେବହେଲେ ଜଣେ ଧନୀ ବ୍ୟକ୍ତି ହୋଇପାରେ ନାହିଁ l ଜଣେ ମିଛୁଆ କିମ୍ବା କପଟୀ ଲୋକ ଯେତେ ମନ୍ଦିର କିମ୍ବା ତୀର୍ଥସ୍ଥାନ ଭ୍ରମଣ କଲେ ମଧ୍ୟ ଲୋକ ମାନଙ୍କର ବିଶ୍ୱାସ ଜିତି ପାରେ ନାହିଁ

ବଣମଲ୍ଲୀର ବାସ୍ନା ଜଣେ ଅଳସୁଆ ଲୋକର ଅନେକ ସ୍ବପ୍ନ ଥିବା ସତ୍ତ୍ୱେ ସେସବୁକୁ ପୂରଣ କରିବାରେ ସକ୍ଷମ ହୋଇ ପାରି ନ ଥାଏ l ଜଣେ କୃପଣ ଲୋକ ପ୍ରଚୁର ପରିମାଣରେ ଅର୍ଥ ସଞ୍ଚୟ କରିଥିବା ସତ୍ତ୍ୱେ ସେ କେବହେଲେ ଜଣେ…

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ସତ୍ୟର ଆଶ୍ରୟ //ଯିଏ ସକଳ ବସ୍ତୁର ମୂଳ କାରଣ, ତାହାକୁ ଜାଣିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରନ୍ତୁ । ତାପରେ ସତ୍ଯ ତୁମପାଇଁ ଆପେ ଆପେ ଉନ୍ମୋଚିତ ହୋଇଯିବ ।

ଯିଏ ସକଳ ବସ୍ତୁର ମୂଳ କାରଣ, ତାହାକୁ ଜାଣିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରନ୍ତୁ । ତାପରେ ସତ୍ଯ ତୁମପାଇଁ ଆପେ ଆପେ ଉନ୍ମୋଚିତ ହୋଇଯିବ । ପ୍ରଥମେ ସଂଖ୍ଯାଟିଏ ଲେଖ ଏବଂ ତାପରେ ଯେତେ ଇଛା ଶୂନ ଯୋଗ କର, ତେବେ ଯାଇ…

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भगवानशिवकोभूतनाथक्यों कहा जाता है.तामस से तामस असुर, दैत्य, यक्ष,भूत, प्रेत, पिशाच, बेताल, डाकिनी,शाकिनी, सर्प, सिंह, सभी जिसे पूजें, वही शिव ‘परमेश्वर’ और ‘भूतेश्वर’ हैं।

भगवानशिवकोभूतनाथक्योंकहाजाता_है? भूतनाथ भूतपति, या भूतेश्वर भगवान शिव ‘भूत’ शब्द का अर्थ है पंचभूत अर्थात् पृथिवी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इसका दूसरा अर्थ है प्राणि समूह अर्थात् समस्त सजीव सृष्टि।…

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सोलह कलाओं का अर्थ क्या है//जिनका संबंध हमारे मन और मस्तिष्क से होता है, जो व्यक्ति मन और मस्तिष्क से अलग रहकर बोध करने लगता है वहीं 16 कलाओं में गति कर सकता है।

सोलह कलाओं का अर्थ क्या है श्री राम 12 कलाओं के ज्ञाता थे तो भगवान श्रीकृष्ण सभी 16 कलाओं के ज्ञाता हैं। चंद्रमा की सोलह कलाएं होती हैं। सोलह श्रृंगार…

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ନିମନ୍ତ୍ରଣ ବିନା ଅତିଥି ହୁଏନା ନିଜେ ରଖ ନିଜ ସମ୍ମାନ,ଧନ ଯେତେ ଥିଲେ ଚରିତ୍ର ନଥିଲେ ଧିକ ସେ ମଣିଷ ଜୀବନ।ଜୀବନର ରୋଜଗାର ଧନ ଦୌଲତରେ ମପାଯାଏ ନାହିଁ।ଅନ୍ତିମ ଯାତ୍ରାର ଭିଡ ଜଣେଇ ଦିଏ କିଏ କଣ ଆଉ କେମିତି ରୋଜଗାର କରିଥିଲା।

ନିମନ୍ତ୍ରଣ ବିନା ଅତିଥି ହୁଏନାନିଜେ ରଖ ନିଜ ସମ୍ମାନ,ଧନ ଯେତେ ଥିଲେ ଚରିତ୍ର ନଥିଲେଧିକ ସେ ମଣିଷ ଜୀବନ। ଜୀବନରେ ଯାହା କରିବା ପାଇଁ ହୃଦୟରୁ ଶ୍ରଦ୍ଧା, ଉତ୍ସାହ ଆସେ ସେହି ଜିନିଷ କରିବା ପାଇଁ ନିଜ ମନ,ପ୍ରାଣ ମଧ୍ୟ ଲଗେଇ…

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साक्षी//जब हमें ऐसा लगता है कि हमें कोई नहीं देख रहा है, तब भी हमारे सभी कर्मों, हमारे विचारों और हमारे इरादों का एक निरंतर साक्षी है और वह है, हमारी आत्मा! हम किसी ओर से कुछ छुपा भी सकते है लेकिन अपने आप (अपनी आत्मा) से कभी नहीं।

साक्षी .एक जर्मन अपनी भारत यात्रा के दौरान, एक निर्माणाधीन मंदिर में गया। उन्होंने वहाँ एक मूर्तिकार को देखा, जो एक देवी की मूर्ति बना रहा था, और इसी मूर्ति…

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जीवन की विशिष्टता//कोई वस्तु हो, पदार्थ हो अथवा प्राणी जगत हो इस प्रकृति ने कुछ न कुछ विशिष्टता सबके भीतर प्रदान की है। प्रकृति कभी किसी के साथ अन्याय नहीं करती है। यदि इस दुनिया में पूर्ण कोई भी नहीं तो सर्वथा अपूर्ण भी कोई नहीं है – Sj. Vijaya kumar sukla Ayodhya UP

आज का भगवद् चिन्तन जीवन की विशिष्टता कोई वस्तु हो, पदार्थ हो अथवा प्राणी जगत हो इस प्रकृति ने कुछ न कुछ विशिष्टता सबके भीतर प्रदान की है। प्रकृति कभी…

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ମାଆ କାଳିଜାଇ//ଚିଲିକା ମଝିରେ ଏକ ଅନୁଚ୍ଚ ପାହାଡ଼ କାଳିଜାଇ ଦ୍ବୀପ l ଏଇଠି ବସତି କରିଛନ୍ତି ମାଆ କାଳିଜାଇ l ରାଧାନାଥଙ୍କ ବର୍ଣ୍ଣନା ଅନୁସାରେ କବି ଗୋଦାବରୀଶଙ୍କ ରୋଚକ ବର୍ଣ୍ଣନାରେ ମାଆ କାଳିଜାଇଙ୍କ କିମ୍ବଦନ୍ତୀଟି ଏହିପରି ଆସନ୍ତୁ ଜାଣିବା – ଅର୍ଜୁନି ଚରଣ ବେହେରା

🥀ମାଆ କାଳିଜାଇ🥀 ଚିଲିକାର ଅପରୂପ ଶୋଭାରାଶିକୁ ସନ୍ଦର୍ଶନ କରି ଦିନେ କବିବର ରାଧାନାଥ ଗାଇ ଉଠିଥିଲେ :- ଉତ୍କଳ କମଳା ବିଳାସ ଦୀର୍ଘିକା l ମରାଳମାଳିନୀ ନୀଳାମ୍ବୁ ଚିଲିକା ll ଉତ୍କଳ ଲକ୍ଷ୍ମୀଙ୍କ ବିଳାଶ ଦିର୍ଘିକା ସ୍ବରୁପେ ଉତ୍କଳ ବକ୍ଷରେ ବିରାଜମାନ…

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