दुनिया में सृष्टि के आरंभ से पांच मूल तत्व (पंचमहाभूत) हैं: आकाश (Space), वायु (Air), अग्नि (Fire), जल (Water), और पृथ्वी (Earth),
जिनसे सब कुछ बना है और इन्हीं के संतुलन से जीवन चलता है, इनकी उत्पत्ति का क्रम भी बताया गया है, जहाँ आकाश से वायु, वायु से अग्नि, अग्नि से जल और जल से पृथ्वी का निर्माण हुआ, और फिर इन तत्वों से ही शरीर और अन्य सभी चीजें बनती हैं।
पंचमहाभूत और उनका क्रम:
आकाश (Ether/Space): सबसे सूक्ष्म तत्व, जो व्यापकता और अनंतता का प्रतीक है, सभी तत्वों का आधार।
वायु (Air): गति, प्राण (जीवन-शक्ति) और स्पंदन का स्रोत, जो आकाश से उत्पन्न होती है।
अग्नि (Fire): ऊर्जा, गर्मी और रूपांतरण का प्रतीक, जो वायु से विकसित होती है।
जल (Water): जीवन का आधार, तरलता और शीतलता का प्रतीक, जो अग्नि से बनती है।
पृथ्वी (Earth): ठोस रूप, स्थिरता और संरचना प्रदान करती है, जो जल से उत्पन्न होती है।
महत्व और शरीर से संबंध:
सृष्टि का आधार: ये पांच तत्व मिलकर पूरे ब्रह्मांड और प्रकृति का निर्माण करते हैं।
मानव शरीर: हमारा शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बना है; हड्डियों (पृथ्वी), रक्त (जल), शरीर के तापमान (अग्नि), सांस (वायु) और शरीर की खाली जगह (आकाश) के रूप में।
(आकाश), स्पर्श (वायु), रूप (अग्नि), रस (जल) और गंध (पृथ्वी) के माध्यम से हम इन तत्वों को अनुभव करते हैं।
इन तत्वों के सही संतुलन से ही स्वास्थ्य और जीवन संभव है, किसी एक की कमी या अधिकता से रोग हो सकते हैं।
दुनिया, समय के साथ, युग-युगों से एक अद्भुत और अविश्वसनीय प्रवाह या धारा में बहती रहती है, जिसमें निरंतर परिवर्तन और निरंतरता होती है, और यह जीवन की यात्रा का वर्णन करता है. यह जीवन की शाश्वत गति, विभिन्न युगों और परिवर्तनों को दर्शाता है, जहाँ हर युग की अपनी धारा होती है, और दुनिया हमेशा आगे बढ़ती रहती है,.
अद्भुत धारा (Adbhut Dhara): यह दुनिया के निरंतर बदलते, फिर भी अद्भुत, प्रवाह को बताता है – चाहे वह प्रकृति का चक्र हो, सभ्यताओं का उदय-पतन, या व्यक्तिगत जीवन की यात्रा.
यह जीवन की गतिशीलता और स्थिरता को बताता है; दुनिया कभी रुकती नहीं, हमेशा अपनी धारा में बहती रहती है. फिर भी जीवन का प्रवाह जारी रहता है.
किसी अलौकिक शक्ति) की महिमा करती है कि उसी ने सूरज, चांद और पूरी दुनिया बनाई है, और इन प्राकृतिक तत्वों के निरंतर आने-जाने के बीच, केवल वही शाश्वत है, जो जीवन के बदलाव और ईश्वर की बनाई दुनिया के शाश्वत सत्य l
यह समय के बीतने, ऋतुओं के बदलने, और दुनिया में आने-जाने वाले लोगों, घटनाओं, और युगों का प्रतीक है (जैसे दिन और रात, मौसम, या राजा-रंक)।
“सूरज चांद सिर्फ है”: इन सभी अस्थायी बदलावों के बावजूद, सूरज और चांद (जो प्रकृति के शाश्वत नियम और समय के चक्र का प्रतीक हैं) भी ईश्वर की बनाई व्यवस्था का हिस्सा हैं, और अंततः, सब कुछ बनाने वाली शक्ति ही अकेली स्थिर और शाश्वत है, जो इन सबको देखती है।
यह
“जिसने सूरज चाँद बनाया,
जिसने तारों को चमकाया,
जिसने बागों को महकाया,
जिसने सारा जगत बनाया,
आओ हम उसके गुण गाएँ,
उसे प्रेम से शीश झुकाएँ।”
संक्षेप में: यह पंक्ति प्रकृति के बदलते चक्रों (सूरज, चांद, दिन, रात) के माध्यम से ब्रह्मांड के रचयिता (ईश्वर) की महानता और उसकी शाश्वत शक्ति का गुणगान करती है
पृथ्वी के बारे में कुछ अनसुलझे रहस्य:
पृथ्वी की धड़कन: 1960 के दशक से वैज्ञानिक हर 26 सेकंड में पृथ्वी से आने वाली एक धीमी आवाज़ (एक तरह की धड़कन) को सुन रहे हैं, और यह आवाज़ कहां से आती है, इसका पूरा रहस्य अभी सुलझा नहीं है.
पृथ्वी का कोर (केंद्र): हमने पृथ्वी में सबसे गहरा गड्ढा (लगभग 12 किमी) खोदा है, लेकिन तापमान इतना बढ़ गया कि आगे बढ़ना मुश्किल हो गया. इसके नीचे क्या है, यह अभी भी एक बड़ा रहस्य है.
पहले इंसान का उद्भव: वैज्ञानिक होमो हैबिलिस को पहला इंसान मानते हैं, लेकिन यह विकास (Evolution) कैसे हुआ, यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसके बारे में हम अभी भी सीख रहे हैं.
ब्रह्मांड में अन्य जीवन: क्या हम अकेले हैं? वैज्ञानिक K2-18b जैसे ग्रहों पर पृथ्वी जैसे जीवन की संभावना देख रहे हैं, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिला है.
निष्कर्ष:
पृथ्वी एक रहस्यमयी जगह है. हम लगातार नई खोजें कर रहे हैं, लेकिन जितना हम जानते हैं, उससे कहीं ज़्यादा अभी भी जानना बाकी है, खासकर पृथ्वी के गर्भ और ब्रह्मांड में हमारी जगह के बारे में जान कर आपको कैसा लगा,,
जय जगन्नाथ
















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