राम।।
विचार संजीवनी
यह नियम तो सभी ले सकते हैं..
जो धन सदा साथ रहता है, वह कमाते नहीं और जो धन कमाते हैं, वह सदा साथ रहता नहीं। मैं प्रतिदिन इतने रुपये कमाऊँगा ही–यह नियम कोई नहीं ले सकता; क्योंकि यह प्रारब्ध के अधीन है। परन्तु मैं प्रतिदिन इतना नामजप करूँगा– यह नियम सभी ले सकते हैं; क्योंकि यह हमारे अधीन है।
आपके पास लाखों रुपये हैं, पर आप उन्हें खर्च नहीं करते और मेरे पास एक कौड़ी भी नहीं तो आपमें-मुझमें क्या फर्क हुआ ? फर्क तो खर्च करने में है। सत्संग से हम धन से भी ऊँची चीज कमाते हैं, जिससे धन हमारा दास हो जाता है, हम मालिक!
राम ! राम !! राम !!!
परम् श्रद्धेय स्वामी जी श्रीरामसुखदास जी महाराज साधन-सुधा-निधि पृष्ठ ५६९
















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