राधे – राधे – आज का भगवद् चिन्तन
|| समर्थ बनें-विनम्र रहें ||
जीवन में सामर्थ्य आती है तो व्यक्ति के भीतर सम्मान प्राप्ति का भाव भी जागृत हो जाता है। निःसंदेह सामर्थ्य के साथ सहजता का आ जाना ही तो जीवन की महानता है क्योंकि जहाँ समर्थता होती है, वहाँ प्रायः विनम्रता का अभाव ही देखा जाता है। सहनशीलता ही मानव जीवन की सबसे बड़ी सामर्थ्य है। सामर्थ्य का अर्थ यह नहीं कि आप दूसरों को कितना झुका सकते हो अपितु यह है, कि आप स्वयं कितना झुक सकते हो।
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