गयासुर और भगवान विष्णु की कहानी//एक शक्तिशाली राक्षस गयासुर ने घोर तपस्या करके भगवान विष्णु से वरदान मांगा कि उसके स्पर्श मात्र से लोग स्वर्ग को प्राप्त हों।गया शहर की स्थापना: इस प्रकार, गयासुर का शरीर ही वह पवित्र भूमि बन गया जहाँ आज लोग पिंडदान और श्राद्ध करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं

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गयासुर और भगवान विष्णु की कहानी

एक शक्तिशाली राक्षस गयासुर ने घोर तपस्या करके भगवान विष्णु से वरदान मांगा कि उसके स्पर्श मात्र से लोग स्वर्ग को प्राप्त हों। इससे यमलोक सुनसान होने लगा, जिस कारण देवताओं ने ब्रह्माजी से समाधान मांगा। भगवान विष्णु ने गयासुर के शरीर पर अपना पैर रखकर उसे पृथ्वी के नीचे दबा दिया, जिससे गयासुर की मुक्ति और गया शहर की स्थापना हुई। यह स्थान अब पितरों के मोक्ष के लिए प्रसिद्ध है।
गयासुर की कहानी
गयासुर की तपस्या: एक राक्षस कुल में जन्मे गयासुर में राक्षसी प्रवृत्ति नहीं थी। वह धर्मनिष्ठ और पुण्य कमाने की इच्छा रखता था। वह समाज में अपने कुल के कारण होने वाले अपमान से दुखी था, इसलिए उसने भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की।
वरदान: भगवान विष्णु प्रसन्न होकर प्रकट हुए और गयासुर को वरदान मांगने को कहा। गयासुर ने वर मांगा कि उसके स्पर्श मात्र से सभी प्राणी स्वर्ग को प्राप्त हों। भगवान विष्णु ने उसे यह वरदान दे दिया।
समस्या: गयासुर के वरदान के कारण यमलोक खाली होने लगा क्योंकि उसके छूने मात्र से प्राणी सीधे स्वर्ग पहुँचने लगे। देवताओं ने ब्रह्माजी से इस समस्या का हल निकालने की प्रार्थना की।
समाधान: ब्रह्माजी के कहने पर भगवान विष्णु ने गयासुर के शरीर पर अपना दाहिना पैर रखकर उसे पृथ्वी में दबा दिया। भगवान विष्णु ने कहा कि यह स्थान (गया) अब से पितरों के मोक्ष का स्थान होगा।
गयासुर का रूप: गयासुर के शरीर को स्थिर करने के लिए उस पर एक धर्मशिला रखी गई, जो आज प्रेतशिला कहलाती है। भगवान विष्णु ने गयासुर को आशीर्वाद दिया कि जो भी प्रतिदिन उसका तर्पण और पिंडदान करेगा, उसे मोक्ष मिलेगा।
गया शहर की स्थापना: इस प्रकार, गयासुर का शरीर ही वह पवित्र भूमि बन गया जहाँ आज लोग पिंडदान और श्राद्ध करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।

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