किस्मत में जो है वही हो रहा है//हम अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकते, बल्कि वे पहले से तय होती हैं. यह विचार दर्शाता है कि चाहे हम कोई भी प्रयास करें, अंततः वही होगा जो किस्मत में लिखा है.

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किस्मत में जो है वही हो रहा है

एक विचार है कि हम अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकते, बल्कि वे पहले से तय होती हैं. यह विचार दर्शाता है कि चाहे हम कोई भी प्रयास करें, अंततः वही होगा जो किस्मत में लिखा है.
इस विचार के मुख्य पहलू:
नियतिवाद (Determinism):
यह मानता है कि जीवन की सभी घटनाएँ पूर्व-निर्धारित हैं और मनुष्य का कोई स्वतंत्र नियंत्रण नहीं होता.
भाग्य का लिखा होना:
कुछ लोग मानते हैं कि जीवन में जो कुछ भी होता है, वह भाग्य या प्रारब्ध में लिखा होता है, और व्यक्ति के चाहने या न चाहने से कुछ नहीं बदलता.
प्रयासों की सार्थकता पर सवाल:
यह विचार कभी-कभी व्यक्ति के प्रयासों को व्यर्थ बताता है, क्योंकि उसका मानना है कि यदि कोई चीज़ भाग्य में नहीं है, तो पूरी कोशिश करने के बाद भी वह नहीं मिलेगी.
आत्म-प्रेरणा में कमी:
इस विचार को मानने से व्यक्ति में कुछ हासिल करने या जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा कम हो सकती है, क्योंकि वह मानता है कि अंततः उसका भाग्य तय है.
ईश्वर पर विश्वास रखने के बाद शांत रहना आध्यात्मिक अभ्यास का हिस्सा है, जिसका अर्थ है बाहरी शोरगुल को कम करके ईश्वर को सुनना, उसकी उपस्थिति को महसूस करना, और जीवन के नियंत्रण को उस पर सौंपकर शांति पाना। जब हम अपने मन को शांत करते हैं, तभी हम ईश्वर की फुसफुसाहट सुन सकते हैं और उनकी योजना पर भरोसा कर सकते हैं, जिससे आंतरिक शांति और सुरक्षा मिलती है।
शांत रहने का महत्व
ईश्वर को सुनना:
बाहरी विकर्षणों को बंद करने से हम ईश्वर की आवाज़ सुनने के लिए तैयार होते हैं, क्योंकि वे अक्सर फुसफुसाकर बोलते हैं।
शांति पाना:
ईश्वर को अपने जीवन के सभी पहलुओं का नियंत्रण सौंपने से हम चिंता और तनाव से मुक्ति पाते हैं और गहरी शांति महसूस करते हैं।
ईश्वर पर भरोसा:
शांत रहने का अर्थ है ईश्वर की संप्रभुता और उसकी योजना पर भरोसा करना, और उन तरीकों को छोड़ देना जिनसे वह अपने उद्देश्य को पूरा करेगा।
आध्यात्मिक संबंध:
यह ईश्वर के साथ हमारा सबसे गहरा संबंध स्थापित करने का तरीका है, जो हमें उसकी उपस्थिति, बुद्धि और शांति का द्वार खोलता है।
कैसे शांत रहें
बाहरी विकर्षणों को कम करें:
फ़ोन, रेडियो और शोर-शराबे जैसी चीज़ों को बंद करके अपनी इंद्रियों को शांत करें।
मन को साफ़ करें:
आँखें बंद करके अपने मन को साफ़ करने का अभ्यास करें, ताकि आप ईश्वर की आवाज़ सुन सकें।
धीरे-धीरे साँसें लें:
धीरे-धीरे, गहरी साँसें लेकर शांति का अनुभव करें।
कृतज्ञता व्यक्त करें:
छोटी-छोटी चीज़ों के लिए ईश्वर को धन्यवाद दें, जैसे सांस लेने वाली हवा या आरामदायक कुर्सी।
नियंत्रण सौंपें:
जीवन के सभी पहलुओं का नियंत्रण ईश्वर को सौंपें और भरोसा करें कि वह आपके भले के लिए ही सब कुछ कर रहा है।

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