हमारी सहनशीलता यदि अधर्म को प्रश्रय दे रही हो तो वो स्वयं के साथ साथ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए भी अति अनिष्टकारी और कष्टकारी बन जाती है-v k sukla

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🚩 भगवान श्री कृष्ण

हमारी सहनशीलता यदि अधर्म को प्रश्रय दे रही हो तो वो स्वयं के साथ साथ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए भी अति अनिष्टकारी और कष्टकारी बन जाती है।

भगवान श्रीकृष्ण केवल वंशी बजाना ही नहीं जानते अपितु शंख बजाना भी जानते हैं।

वंशी अंतः आनंद की प्रतीक है, स्थिर जीवन की प्रतीक है, शांत और सुखी जीवन की प्रतीक है तो शंख एक ललकार, एक उद्घोष और अन्याय, अत्याचार, अधर्म के विरूद्ध एक विद्रोह का प्रतीक है।

भगवान श्रीकृष्ण का वंशीनाद मौन की ओर संकेत करता है और शंखनाद विद्रोह की ओर। विद्रोह अंधविश्वास के साथ, विद्रोह कुंठित परंपराओं के साथ, विद्रोह अत्याचारियों के खिलाफ, विद्रोह अन्यायियों और स्वार्थ में जकड़ी राजसत्ता के खिलाफ।

स्वयं के सुख की वंशी अवश्य बजाओ लेकिन आवश्यकता पड़े तो धर्म रक्षा के लिए शंखनाद करने का साहस भी अपने भीतर उत्पन्न करो।

जय श्री कृष्ण

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