अपने हृदय में परमात्मा को अपनी पूरी शक्ति से पकड़ कर रखो, उन्हें कभी भी छोड़ो मत। उन्हें पकड़ कर चलते रहो, चलते रहो, और चलते रहो। कभी भी, कहीं भी रुको मत। रुकते ही पतन और विनाश आरंभ होने लगता है। हमारी पकड़ में केवल परमात्मा ही आते हैं, और कोई या कुछ आता भी नहीं है। आजकल मामला कुछ उल्टा हो गया है, अब हर समय परमात्मा ही मुझे पकड़ कर रखते हैं, कभी छोड़ते ही नहीं है।
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उन्हें देने के लिए मेरे पास अपने अंतःकरण के सिवाय कुछ है भी नहीं। अपना अन्तःकरण ही उनमें समर्पित और विलय कर रहा हूँ। सभी को मंगलमय शुभ कामना और नमन !!
ॐ तत्सत् !! ॐ गुरु !! गुरु ॐ !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१७ अगस्त २०२५
अपने हृदय में परमात्मा को अपनी पूरी शक्ति से पकड़ कर रखो, उन्हें कभी भी छोड़ो मत। उन्हें पकड़ कर चलते रहो, चलते रहो, और चलते रहो। कभी भी, कहीं भी रुको मत। रुकते ही पतन और विनाश आरंभ होने लगता है। हमारी पकड़ में केवल परमात्मा ही आते हैं, और कोई या कुछ आता भी नहीं है-कृपा शंकर

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