आज का श्रीमद् भागवतम् भाव
भागवत कहती है , कि भगवान कृपालु हैं , दयालु हैं , लेकिन सुख – सम्पति व वैभव दे देना उनकी कृपालुता व दयालुता नहीं है । यह तो उसका पहले जन्म में दिया हुआ उसे वापस मिल रहा है । उन्होंने जब भी किसी पर कृपा की है , तो उसे ये नाशवान वस्तुएं न देकर अपनी भक्ति प्रदान की है । उसके हृदय में अपने चरणों का प्रेम जाग्रत किया है , फिर चाहे वो मीराबाई हों , कबीरदास हों , नरसीजी हों , या अन्य हजारों उनके प्रेमी भक्त । वे भला इन नाशवान वस्तुओं को देकर अपने भक्तों को क्यों प्रपंच में डालना चाहेंगे ?
★ भागवत यह भी कहती है , कि उनकी कृपा का इंतजार मत करिए । उनकी सामान्य कृपा तो सब पर निरंतर बरस ही रही है । लेकिन हाँ ! यदि आप उनकी विशेष कृपा पाना चाहते हैं , तो आपको भी कुछ विशेष करना पडेगा ।
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