देवहूति (Devahuti) हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, स्वायंभुव मनु और शतरूपा की पुत्री थीं, जिन्होंने कर्दम ऋषि से विवाह किया और भगवान कपिल की माता बनीं, जिन्हें कपिलदेव के नाम से भी जाना जाता है, और उन्होंने सांख्य दर्शन का ज्ञान प्राप्त किया था। वे अपने पति के प्रति अटूट भक्ति और सेवा के लिए जानी जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें भगवान कपिल के रूप में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया।
मुख्य बिंदु
पारिवारिक पृष्ठभूमि
वे स्वयंभुव मनु (पहले मानव) और शतरूपा की बेटी थीं, और तीन कन्याओं में से एक थीं।
विवाह: उनका विवाह तपस्वी ऋषि कर्दम से हुआ, जिन्होंने उन्हें नौ कन्याएँ (जो नवधा भक्ति का प्रतीक थीं) और फिर भगवान कपिल को पुत्र रूप में दिया।
भक्ति और ज्ञान: देवहूति ने कर्दम ऋषि की घोर तपस्या और सेवा की। उनके समर्पण से प्रसन्न होकर, ऋषि ने उन्हें सांख्य दर्शन का ज्ञान दिया, जिससे वे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो गईं और मोक्ष प्राप्त किया।
महत्व: वे भक्ति, सेवा और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति में एक आदर्श मानी जाती हैं, विशेषकर कपिल देव के साथ उनके संवाद के लिए।
संक्षेप में, देवहूति एक शाही राजकुमारी थीं जिन्होंने एक तपस्वी से विवाह किया और अपनी भक्ति व ज्ञानार्जन के माध्यम से आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त की, जिससे वे हिन्दू धर्म में एक पूजनीय व्यक्तित्व बन गईं।
















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