पौराणिक कथाओं के अनुसार वनवास के दौरान जब माता सीता प्यासी थीं, तब भगवान राम ने अपने बाण से पाताल को भेदकर पानी निकाला था,
और यह जल स्रोत छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के पास ‘पाताल गंगा’ के नाम से प्रसिद्ध है, जहाँ आज भी लोग दर्शन करने जाते हैं और माना जाता है कि सीता माता ने भी यहाँ पानी पिया था,
हालांकि कुछ कथाओं में यह फल्गु नदी के संदर्भ में भी आता है, लेकिन पाताल गंगा का संबंध सीधे सीता जी के प्यास बुझाने से है।
मुख्य बिंदु:
स्थान: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ (महासमुंद के पास) में पाताल गंगा नामक एक पवित्र जलकुंड है।
कथा: वनवास के दौरान सीता जी को प्यास लगने पर, प्रभु राम ने अपने बाण से पाताल लोक को भेदकर यह जलधारा निकाली थी।
विशेषता: इस कुंड का पानी कभी सूखता नहीं है और इसका जलस्तर पूरे वर्ष एक समान रहता है, जिसे पवित्र माना जाता है।
अन्य जुड़ाव: इसी क्षेत्र में राम, सीता और लक्ष्मण के पदचिह्न भी माने जाते हैं और यहाँ एक प्राचीन मंदिर भी है।
इस प्रकार, यह स्थान सीधे तौर पर सीता माता के पानी पीने और उनकी प्यास बुझाने से जुड़ा है, और यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बन गया है।
















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