जमदग्नि ऋषि //जमदग्नि ऋषि भृगुवंशी ऋचीक के पुत्र थे, जो वर्तमान मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक थे।वह भगवान परशुराम के पिता थे,

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जमदग्नि ऋषि भृगुवंशी ऋचीक के पुत्र थे, जो वर्तमान मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक थे। उनकी पत्नी रेणुका थीं और उनके पांच पुत्र थे, जिनमें सबसे छोटे भगवान विष्णु के अवतार परशुराम थे।

वह अपनी तपस्या और ज्ञान के लिए जाने जाते थे, और उनकी कहानियों में राजा कार्तवीर्य अर्जुन द्वारा कामधेनु गाय को छीनने की घटना का भी उल्लेख है।
जमदग्नि ऋषि के बारे में मुख्य बातें
वंश और परिवार: ऋषि भृगु के वंशज, उनके पिता ऋचीक थे। उनकी पत्नी का नाम रेणुका था और उनके पाँच पुत्र थे: रुक्मवान, सुखेण, वसु, विश्ववानस और परशुराम।
परशुराम के पिता: वह भगवान परशुराम के पिता थे, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
सप्तर्षियों में से एक: उन्हें वर्तमान मन्वंतर के सात महान ऋषियों में से एक माना जाता है।
आश्रम: उनका आश्रम सरस्वती नदी के तट पर था।
कामधेनु गाय: उन्होंने इंद्र से तपस्या करके कामधेनु गाय प्राप्त की थी, जिसका उपयोग वह अपने मेहमानों का सत्कार करने के लिए करते थे।

राजा कार्तवीर्य:

राजा कार्तवीर्य सहस्रबाहु अर्जुन ने बलपूर्वक कामधेनु को छीन लिया था, जिसके बाद परशुराम ने क्षत्रियों का वध करके बदला लिया।
मृत्यु: बाद में, राजा कार्तवीर्य के पुत्रों ने बदला लेने के लिए जमदग्नि ऋषि को 21 बाणों से घायल कर दिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
पुनर्जीवन: ऋषि शुक्र ने मृतसंजीवनी विद्या से उन्हें पुनः जीवित किया।
ज्ञान: ऋषि जमदग्नि को शास्त्रों और शस्त्र विद्या में भी पारंगत माना जाता है।

10 ऋषि मुनियों के नाम

कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ, अंगिरा, अगस्त्य और भृगु। यह सूची ‘सप्तऋषि’ और अन्य महत्वपूर्ण ऋषियों के संयोजन पर आधारित है। 
कश्यप: सृष्टि के विभिन्न जीवों के सृजनकर्ता।
अत्रि: ऋग्वेद के पांचवें मंडल के अधिकांश सूत्रों के ऋषि और आयुर्वेद के आचार्य।
भारद्वाज: ‘यंत्र सर्वस्व’ ग्रंथ के रचयिता, जिसमें विमानों के निर्माण का वर्णन है।
विश्वामित्र: सप्तऋषि में से एक।
गौतम: सप्तऋषि में से एक।
जमदग्नि: भृगुपुत्र और आयुर्वेद व चिकित्साशास्त्र के विद्वान।
वशिष्ठ: राजा दशरथ के राजगुरु और सप्तऋषि में से एक।
अंगिरा: ऋग्वेद के मंत्रद्रष्टा और सप्तऋषि में से एक।
अगस्त्य: दक्षिण भारत में वैदिक संस्कृति का प्रचार किया।
भृगु: जिन्होंने वेदों का संकलन किया और अग्नि की तरह तेजस्वी थे।

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