अन्नकूट – गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर बुधवार को : महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।
जम्मू कश्मीर : कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि अन्नकूट – गोवर्धन पूजा की जाती हैं गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। श्रीकृष्ण, श्रीराधा,गोवर्धन पर्वत और गौ माता का पूजन करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं। गौ माता के गोबर से इस दिन घरों में गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा बनाई जाती है। इस वर्ष 2025 को गोवर्धन पर्व 22 अक्टूबर बुधवार को मनाया जाएगा। इस विषय में श्री अध्यक्ष, श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ने बताया कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर मंगलवार को शाम 05 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 22 अक्टूबर बुधवार रात्रि 08 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी, सूर्योदय व्यापनी कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 अक्टूबर बुधवार को है इस दिन सुबह गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 20 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 44 मिनट तक का है। इस दिन मंदिरो गाय के गोबर से विशाल पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण बनाकर खील बताशे से उनकी पूजा की जाती है और शाम के समय भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन या 128 पकवानों का भोग लगाया जाता है। धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान कृष्ण ने इंद्रदेवता का घमंड तोड़ा था और अपनी कनिष्ठा पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर संपूर्ण ब्रजवासियों की जान बचाई थी। लगातार बरसते पानी के बीच भगवान कृष्ण ने गांव को बचाने के लिए लगातार सात दिनों तक उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाए रखे था इस दौरान उन्होंने कुछ नहीं खाया पिया और इसीलिए जब बरसात बंद हुई तो गांव वालों ने उनको धन्यवाद के तौर पर तरह तरह के छप्पन भोग खिलाए। कहा जाता है कि छप्पन भोग का महत्व इसलिए हैं क्योंकि मां यशोदा भगवान कृष्ण को एक दिन में आठ बार खाना खिलाती थीं और उन्होंने जब सात दिन भूखे रहकर गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा तो गांव वासियों ने सात दिन का भोजन उनके लिए छप्पन भोग के रूप में तैयार किया।
भगवान कृष्ण को लगने वाले छप्पन भोग में वह छप्पन आहार होते हैं जो उनको प्रिय हैं. यह छप्पन आहार हैं की सूची इस प्रकार है।
- भक्त (भात),
- सूप (दाल),
- प्रलेह (चटनी),
- सदिका (कढ़ी),
- दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी),
- सिखरिणी (सिखरन),
- अवलेह (शरबत), 8. बालका (बाटी),
- इक्षु खेरिणी (मुरब्बा),
- त्रिकोण (शर्करा युक्त),
- बटक (बड़ा),
- मधु शीर्षक (मठरी),
- फेणिका (फेनी),
- परिष्टश्च (पूरी),
- शतपत्र (खजला),
- सधिद्रक (घेवर),
- चक्राम (मालपुआ),
- चिल्डिका (चोला),
- सुधाकुंडलिका (जलेबी),
- धृतपूर (मेसू),
- वायुपूर (रसगुल्ला),
- चन्द्रकला (पगी हुई),
- दधि (महारायता),
- स्थूली (थूली),
- कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी),
- खंड मंडल (खुरमा),
- गोधूम (दलिया),
- परिखा,
- सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त), 30. दधिरूप (बिलसारू),
- मोदक (लड्डू),
- शाक (साग),
- सौधान (अधानौ अचार),
- मंडका (मोठ),
- पायस (खीर),
- दधि (दही),
- गोघृत (गाय का घी),
- हैयंगपीनम (मक्खन),
- मंडूरी (मलाई),
- कूपिका (रबड़ी),
- पर्पट (पापड़),
- शक्तिका (सीरा),
- लसिका (लस्सी),
- सुवत,
- संघाय (मोहन),
- सुफला (सुपारी),
- सिता (इलायची),
- फल,
- तांबूल,
- मोहन भोग,51. लवण,
- कषाय,
- मधुर,
- तिक्त,
- कटु,
- अम्ल.
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) अध्यक्ष, श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत)रायपुर,ठठर बनतलाब जम्मू, पिन कोड 181123.
संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195 Email : rohitshastri.shastri1@gmail.com
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