आपका जन्म एक इंसान के रूप में हुआ है पर एक अच्छा इंसान बनने के लिये आपको बहुत सारी चीजें करनी पड़ती हैं और उसके बाद भी आपको पता नहीं होता कि आप कहाँ हैं! हाँ,
किसी से तुलना करते हुए आपको लग सकता है कि आप उससे बेहतर हैं पर अपने आपमें आप कहाँ हैं, कैसे हैं, आप नहीं जान सकते। मनुष्य की बुद्धिमानी कुछ ऐसी होती है कि अगर आप उसे सही ढंग से संगठित नहीं करते, इस्तेमाल नहीं करते तो जिन प्राणियों के मस्तिष्क आपके मस्तिष्क के लाखवें भाग के बराबर भी नहीं हैं, उनकी तुलना में आपको जबर्दस्त दुख होगा,
बहुत ज्यादा उलझन होगी क्योंकि वे सभी प्राणी हर बात में बहुत स्पष्ट होते हैं, जैसे इंसान नहीं होते। एक केंचुआ, कोई कीड़ा भी आसानी से जानता है कि उसे क्या करना है और क्या नहीं करना पर इंसान को ये पता नहीं होता। ये बुद्धिमानी ही हमें उलझन में डालती है, हमारी बुद्धि की काबिलियत की वजह से ही हम हमेशा संघर्ष की अवस्था में रहते हैं।
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