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सत्य मानना, सत्य बोलना और सत्य आचरण करना
“प्रत्येक व्यक्ति सुख शांति चाहता है। सुख शांति मिलती है सत्य को जानने मानने बोलने और व्यवहार करने से।”
सत्य का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। सत्य को समझना कहीं सरल भी होता है, और कहीं कठिन भी। “जो छोटे छोटे क्षेत्र का सत्य होता है, उसे जानना मानना बोलना और व्यवहार करना सरल होता है।” छोटे क्षेत्र के सत्य का उदाहरण — “जैसे यह सूर्य है, यह चंद्रमा है, यह पृथ्वी है, यह अग्नि और ये वायु आदि पदार्थ हैं।” यह बहुत छोटे क्षेत्र का सत्य है। इसे जानना सरल है। इसे तो सब बच्चे बच्चे भी जान लेते हैं।
“और जो उच्च क्षेत्र का सत्य होता है, उसको जानना मानना बोलना और व्यवहार करना कठिन होता है।” उच्च क्षेत्र के सत्य का उदाहरण — “जैसे कि ईश्वर है अथवा नहीं। ईश्वर न्यायकारी है अथवा अन्यायकारी। ईश्वर स्वार्थी है अथवा परोपकारी। ईश्वर सही समय पर कर्म फल देता है अथवा देर से। आत्मा भी कोई वस्तु है अथवा नहीं। आत्मा को अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है अथवा उसके कुछ पाप कर्म माफ़ भी हो सकते हैं। बंधन और मुक्ति क्या है। एक बार मुक्ति हो जाए, तो फिर वहां से वापस लौटना होगा, या सदा ही आत्मा मुक्ति में रहेगा।” इस प्रकार के कुछ उच्च क्षेत्र के सत्य हैं। इनको जानना कठिन होता है।
इस कठिन सत्य को समझने के लिए कम से कम 4 कारण आवश्यक होते हैं। “1- मन की शुद्धि। 2- प्रमाण और तर्क विद्या (न्याय विद्या) की जानकारी। 3- विशेष बुद्धि = (ऊंचा IQ). 4- जिस क्षेत्र में आप सत्य को जानना चाहते हैं, उस क्षेत्र के शास्त्रों का अध्ययन। इतनी वस्तुएं कम से कम हों, तब जाकर कोई व्यक्ति उच्च क्षेत्र के सत्य को ठीक प्रकार से समझ सकता है, मान सकता है, बोल सकता है और सत्य व्यवहार कर सकता है, इनके बिना नहीं।”
“यदि आप ऊपर बताए 4 कारणों को धारण कर लेंगे, तो आप इन सभी प्रकार के सत्यों को जान सकते हैं। तब आपको जितना आनंद और शांति मिलेगी, उसका वर्णन शब्दों में करना कठिन है।”
“इसलिए यदि आप सुख-शांति आनंद निर्भयता आदि प्राप्त करना चाहते हों, तो सत्य तक पहुंचने के लिए ऊपर बताए 4 कारणों को अपने अंदर स्थापित करें, सत्य को समझने का प्रयास करें, और सदा पक्षपात रहित न्याय पूर्वक सत्य का ही व्यवहार करें। तब आप की सुख शान्ति को प्राप्त करने की इच्छा पूरी हो सकेगी, अन्यथा नहीं।”
आपका जीवन मंगलमय हो
आपका मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो

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