संसार में सत्य और झूठ सदा से चलते आ रहे हैं, आज भी चल रहे हैं, और आगे भी चलेंगे। “अच्छाई और बुराई सदा से है, और सदा रहेगी। यह कभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हो सकती।”
क्योंकि जिस प्रकृति से यह संसार बना है, उस प्रकृति में ही दो तिहाई मैटीरियल खराब है।अर्थात “प्रकृति में सत्त्वगुण रजोगुण और तमोगुण ये तीन प्रकार के कण हैं। इनमें से सत्त्वगुण तो अच्छा है, जो सबको सच्चाई की ओर प्रेरित करता है। और बाकी दो कण = रजोगुण और तमोगुण, इनमें खराबी है। ये सबको बुराइयों की ओर प्रेरित करते हैं। इसलिए संसार में बुराई कभी समाप्त नहीं होगी।”
हां, इतना हो सकता है, कि “जो बुद्धिमान लोग होंगे, वे सत्त्वगुण की सहायता से अच्छे काम करेंगे और धीरे-धीरे पुरुषार्थ करके मोक्ष में चले जाएंगे। बाकी जो लोग रजोगुण और तमोगुण से अधिक प्रभावित रहेंगे, इनसे छूटने का पुरुषार्थ नहीं करेंगे, तो वे उनके प्रभाव से प्रभावित होकर झूठ छल कपट चोरी बेईमानी आदि पाप कर्म करते रहेंगे।”
“अब क्योंकि दोनों प्रवृत्तियों में विरोध है, इसलिए जो रजोगुण और तमोगुण से प्रभावित बुरे लोग हैं, वे सत्त्वगुणी प्रभाव वाले अच्छे लोगों से द्वेष करेंगे। जो व्यक्ति रजोगुण व तमोगुण से जितना अधिक दबा हुआ होगा, वह सत्त्वगुणी सत्यवादी लोगों से उतना ही अधिक द्वेष करेगा।”
“तो इस सच्चाई को जानकर आप स्वयं सत्त्वगुणी बनें। सच्चाई से प्रेम करें। सत्यवादी बनें, सत्याचरण करें, और सुख से रहें।” “दूसरे रजोगुणी तमोगुणी प्रभाव वाले लोगों के साथ झगड़ा न करें, बल्कि उनसे सावधान रहें और अपनी सुरक्षा अवश्य करें। इसी में बुद्धिमत्ता है, और इसी में जीवन का सुख है।”
—- “स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक – दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़, गुजरात.”
संसार में सत्य और झूठ सदा से चलते आ रहे हैं, आज भी चल रहे हैं, और आगे भी चलेंगे। “अच्छाई और बुराई सदा से है, और सदा रहेगी। यह कभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हो सकती-स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक – दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़, गुजरात

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