Suresh Chandra Agrawal:
हमेशा प्रसन्न रहो
सदा जपिये हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे I हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे और हमेशा खुश रहिये Ii
श्री कृष्ण जी कहते है जो मनुष्य जीवन के अंत समय में मेरा ही स्मरण करता हुआ शारीरिक बन्धन से मुक्त होता है, वह मेरे ही भाव को अर्थात मुझको ही प्राप्त होता है इसमें कुछ भी सन्देह नहीं है।
मनुष्य अंत समय में जिस-जिस भाव का स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग करता है, वह उसी भाव को ही प्राप्त होता है, जिस भाव का जीवन में निरन्तर स्मरण किया है।
🌹🌹🌹🌹श्री कृष्ण जी कहते है 🌹🌹
तुम पाप मत करो मे तुम्हे मोक्ष की प्राप्ति करूँगा
मोक्ष प्राप्ति का मतलब है, जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाना. मोक्ष की प्राप्ति के बाद, इंसान को फिर से इस मृत्युलोक में जन्म लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती. मोक्ष प्राप्त करने के बाद, आत्मा वैकुण्ठ धाम जाती है. वैकुण्ठ को मोक्ष का द्वार इसलिए कहते हैं क्योंकि यहां जो भी आत्मा जाती है वह कुंठा, निष्क्रियता, अकर्मण्यता, निराशा, हताशा, आलस्य और दरिद्रता इत्यादि से हमेशा के लिए मुक्त हो जाती है.
राधे राधे जय सीताराम
हँसने से न केवल
हमरी परेशानियाँ दूर होती हैं,
बल्कि इससे बॉडी में
कई पॉजिटिव बदलाव भी आते हैं ।
जब हम हँसी-ख़ुशी भरी ज़िन्दगी जीते हैं तो
स्ट्रेस से होने वाली कई बीमारियों से बचसकते हैं ।
हँसने से हम 40-60 कैलोरी
बड़ी आसानी से घटा लेते हैं ।
इसके साथ ही इससे चेहरे की माँसपेशियाँ भी
टोन-अप होती हैं ।
इससे टी-सेल्स में सुधार आता है ।
मेन्टल हेल्थ को बेहतर रखने का हँसी
सबसे अच्छा तरीक़ा है ।
सब कुछ छोड़ देना
पर मुस्कराना और उम्मीद
कभी ना छोड़ना !!!
आज का विचार
अच्छा स्वभाव वह खूबी है जो सदा के लिये सभी का प्रिय बना देता है ,
कितना भी किसी से दूर हो पर अच्छे स्वभाव के कारण आप किसी न किसी पल यादों में आ ही जाते हो .
इसलिये स्वभाव ही इंसान की अपनी कमाई हुई सबसे बड़ी दौलत है ….
Bhagavad Gita App
Chapter: 6
श्लोक: 42
श्लोक:
अथवा योगिनामेव कुले भवति धीमताम् ।
एतद्धि दुर्लभतरं लोके जन्म यदीदृशम् ॥ ४२ ॥
अनुवाद: अथवा (यदि दीर्घकाल तक योग करने के बाद असफल रहे तो) वह ऐसे योगियों के कुल में जन्म लेता है जो अति बुद्धिमान हैं। निश्चय ही इस संसार में ऐसा जन्म दुर्लभ है।
तात्पर्य: यहाँ पर योगियों के बुद्धिमान कुल में जन्म लेने की प्रशंसा की गई है क्योंकि ऐसे कुल में उत्पन्न बालक को प्रारम्भ से ही आध्यात्मिक प्रोत्साहन प्राप्त होता है। विशेषतया आचार्यों या गोस्वामियों के कुल में ऐसी परिस्थिति है। ऐसे कुल अत्यन्त विद्वान् होते हैं और परम्परा तथा प्रशिक्षण के कारण श्रद्धावान होते हैं। इस प्रकार वे गुरु बनते हैं। भारत में ऐसे अनेक आचार्य कुल हैं, किन्तु अब वे अपर्याप्त विद्या तथा प्रशिक्षण के कारण पतनशील हो चुके हैं। भगवत्कृपा से अभी भी कुछ ऐसे परिवार हैं जिनमें पीढ़ी-दर-पीढ़ी योगियों को प्रश्रय मिलता है। ऐसे परिवारों में जन्म लेना सचमुच ही अत्यन्त सौभाग्य की बात है। सौभाग्यवश हमारे गुरु विष्णुपाद श्री श्रीमद्भक्तिसिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी महाराज को तथा स्वयं हमें भी ऐसे परिवारों में जन्म लेने का अवसर प्राप्त हुआ। हम दोनों को बचपन से ही भगवद्भक्ति करने का प्रशिक्षण दिया गया। बाद में दिव्य व्यवस्था के अनुसार हमारी उनसे भेंट हुई।
जय श्री कृष्णा
आज की अमृत कथा
🍁 सुमति 🍁
एक बार किसी ने तुलसी दास जी से पूछा – महाराज! सम्पूर्ण रामायण का सार क्या है? क्या कोई चौपाई ऐसी है जिसे हम सम्पूर्ण रामायण का सार कह सकते हैं?
तुलसी दास जी ने कहा – हाँ है और वह है –
जहां सुमति तह सम्पत्ति नाना, जहां कुमति तहँ विपत्ति आना।
जहां सुमति होती है, वहां हर प्रकार की सम्पत्ति, सुख-सुविधाएं होती हैं और जहां कुमति होती है वहां विपत्ति, दुःख और कष्ट पीछा नहीं छोड़ते।
सुमति थी अयोध्या में!
भाई-भाई में प्रेम था, पिता और पुत्र में प्रेम था, राजा-प्रजा में प्रेम था, सास-बहू में प्रेम था और मालिक-सेवक में प्रेम था तो उजड़ी हुई अयोध्या फिर से बस गई ।
कुमति थी लंका में!
एक भाई ने दूसरे भाई को लात मारकर निकाल दिया। कुमति और अनीति के कारण सोने की लंका राख का ढेर हो गई।
गुरु वाणी में आता है –
इक लख पूत सवा लख नाती, ता रावण घर दीया ना बाती।
पाँच पाण्डवों में सुमति थी तो उन पर कितनी विपदाएं आईं लेकिन अंत में विजय उनकी ही हुई और हस्तिनापुर में उनका राज्य हुआ।
कौरवों में कुमति थी, अनीति थी, अनाचार था, अधर्म था तो उनकी पराजय हुई और सारे भाई मारे गए।
यदि जीवन को सुखी बनाना चाहते हैं तो जीवन में सुमति अपनाओ।
भगवान “कृष्ण” स्वयं कहते हैं कि;
“राधा” उनकी आत्मा है, वह “राधा” में व “राधा” उनमें बसती है!
“गोविन्द” को यही पसंद है कि, लोग भले ही उनका नाम नहीं लें लेकिन “राधा” का नाम जपते रहें।
प्रेम से बोलो “जय श्री राधे”
“जय” बोलने से मन को शांति मिलती है, “श्री” बोलने से शक्ति मिलती है, “राधे” बोलने से पापों से मुक्ति मिलती है और निरंतर “जय श्रीराधे” बोलने से भक्ति मिलती है तो प्रेम से बोलो “जय श्रीराधे”
जय जय श्री राधे
स्वाद ही नहीं फायदों में भी लाजवाब है पनीर, जानिए
1 दांत और हड्डियों – पनीर का सबसे बेहतरीन लाभ है कि यह आपकी हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है साथ ही कैल्सीयम और फास्फोरस का एक बढ़िया स्त्रोत भी है। रोजाना पनीर का सेवन हड्डयिों की समस्या, जोड़ों में दर्द और दांत के रोगों से बचाए रखने में बेहद मददगार है।
2 मेटाबॉलिज्म – पाचन और पाचन तंत्र के लिए मेटाबॉलिज्म का रोल बहुत महत्वपूर्ण है। पनीर में अत्यधिक मात्रा में डायट्री फाइबर होते हैं जो भोजन के पाचन में बेहद मददगार साबित होता है। यह पाचन तंत्र के सुचारू रूप से चलने के लिए बेहद फायदेमंद और महत्वपूर्ण है।
3 कैंसर – पनीर का सबसे बड़ा लाभ यही है, इसमें कोई शक नहीं। हाल ही में हुए एक शोध में यह साबित हुआ है कि पनीर में कैंसर जनित कारणों और खतरों को कम करने की क्षमता है। पेट के कैंसर, कोलोन कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में पनीर बेहद प्रभावी साबित हुआ है।
4 डाइबिटीज – ओमेगा 3 से भरपूर पनीर डाइबिटीज से भी बेहद प्रभावी तरीके से लड़ता है। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि वे भी अपने डाइबिटीज रोगियों को रोजाना पनीर को डाइट में शा मिल करने की सलाह देते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, कि पनीर दोनों टाइप के डाइबिटीज के लिए प्रभावी साबित होता है।
5 तुरंत एनर्जी – दूध से बनने के कारण पनीर में भी दूध के गुणों का भंडार है, जिनमें ऊर्जा का स्त्रोत भी शामिल है। शरीर में तुरंत ऊर्जा के लिए पनीर का सेवन फायदेमंद है। बॉडी ट्रेनिंग करने वालों के लिए यह और भी फायदे
जय श्री राधे राधे
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