लक्ष्य पर डटे रहें
श्रेष्ठ लक्ष्य की शुरुआत सदैव उपहास से ही होती है। लक्ष्य श्रेष्ठ होते हुए भी यदि किसी के द्वारा बार-बार आपका उपहास किया जा रहा है तो समझ लेना चाहिए कि वो आपको सफल होते नहीं देखना चाहता है।
किसी को गिराने का सबसे सशक्त हथियार है कि उसका अथवा उसके द्वारा किये जा रहे कार्य का उपहास कर सामने वाले के मनोबल को कमजोर किया जाये।
जहाँ उपहास से बात नहीं बनती फिर वहाँ से विरोध का जन्म प्रारम्भ होता है। दुनिया प्रत्येक उस महान कार्य का विरोध करती है, जो वह स्वयं नहीं कर सकती।
मनुष्य मन बड़ा ही ईर्ष्यालु होता है इसलिए दूसरे की यश, कीर्ति, मान, प्रतिष्ठा वह कभी देख ही नहीं सकता।
धैर्य एवं निष्ठा के साथ अपने मार्ग पर अग्रसर रहें, लोग हँसेगे, लोग जलेंगे लेकिन आपकी यश-कीर्ति के प्रकाश को धूमिल नहीं कर पायेंगे।
जय श्री राधे कृष्ण
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