“हम सभी जानते हैं, ” जा पर कृपा राम की होइ, ता पर कृपा करे सब कोई”। अर्थात् इस दुनिया में सिर्फ़ समय अपना है। यदि समय आपका अनुकूल चल रहा है तब सभी आपके साथ हैं किन्तु यदि समय आपका प्रतिकूल चल रहा है तब सभी किसी न किसी वज़ह से पराये हो जाते हैं।
कहा जाता है, ” वक़्त अपना पराया की पहचान करा देता है”।
माता पिता को छोड़ कर दुनिया के हर रिश्ते में किसी न किसी तरह का स्वार्थ छिपा होता है। किन्तु कभी कभी माता पिता भी अपनी झूठी शान के कारण बच्चे का त्याग कर देते हैं। अपवाद है लेकिन सच है। इस संदर्भ में मैँ अपने समय की एक सच्ची घटना साझा करना चाहूंगी।
एक बार एक बेटी ने अपने माता पिता की मर्जी के विरूद्ध किसी समकक्ष लड़के से शादी कर ली। माता पिता ने उसी दिन से अपनी बेटी को मरा हुआ मान लिया।”
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