बुद्ध पूर्णिमा विशेष//भगवान गौतम बुद्ध द्वारा प्रतिपादित इस दर्शन में भी वैदिक दर्शनों की ही तरह निब्बान या निर्वाण का मार्ग बतलाया गया है.इसके अनुसार संसार में दुःख व्याप्त है. अष्टांग मार्ग पर चलकर ही इससे मुक्त हुआ जा सकता है

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बुद्ध पूर्णिमा विशेष – बौद्ध दर्शन

श्रमण दर्शनों में दूसरा और सर्वाधिक ख्याति प्राप्त दर्शन बौद्ध दर्शन है.

भगवान गौतम बुद्ध द्वारा प्रतिपादित इस दर्शन में भी वैदिक दर्शनों की ही तरह निब्बान या निर्वाण का मार्ग बतलाया गया है.

इसके अनुसार संसार में दुःख व्याप्त है. अष्टांग मार्ग पर चलकर ही इससे मुक्त हुआ जा सकता है.

अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह और मद से मुक्ति, ये पंचशील इसमें सहायक होते हैं.

इसके अलावा निब्बान के पथ पर आने वाली दस कठिनाइयों से निपटने के लिए दस गुणों की व्याख्या भी इस परम्परा में मिलती है।

गौतम बुद्ध, जिनका मूल नाम सिद्धार्थ था, बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। उनका जन्म लुम्बिनी में हुआ था (वर्तमान में नेपाल) और उन्होंने 35 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त कर बुद्धत्व प्राप्त किया। उनकी शिक्षाएं और दर्शन बौद्ध धर्म का आधार हैं, जो शांति, अहिंसा और दया के सिद्धांतों पर आधारित है। 
विस्तार से:
जन्म और बचपन:
सिद्धार्थ गौतम का जन्म लुम्बिनी (वर्तमान में नेपाल) में 563 ईसा पूर्व में हुआ था। उनके पिता राजा शुद्धोदन थे, और उनकी माता का नाम महामाया था। उनका पालन-पोषण उनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने किया था। 
ज्ञान की प्राप्ति:
29 वर्ष की उम्र में, सिद्धार्थ ने गृहस्थ जीवन का त्याग कर दिया और ज्ञान की खोज में निकल पड़े। उन्होंने कई वर्षों तक तपस्या और ध्यान किया, और अंततः बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। 
बौद्ध धर्म की स्थापना:
ज्ञान प्राप्ति के बाद, सिद्धार्थ ने बुद्ध नाम से जाना जाने लगा। उन्होंने अपनी शिक्षाओं को प्रसारित किया, और बौद्ध धर्म की स्थापना की। उनकी शिक्षाएं शांति, अहिंसा, दया, प्रेम और सत्य पर आधारित थीं।
अष्टांगिक मार्ग:
बुद्ध ने अपने जीवन में एक “अष्टांगिक मार्ग” का अनुसरण किया, जो आठ सिद्धांतों पर आधारित है। ये सिद्धांत हैं: सत्य, शुद्ध विचार, शुद्ध वाणी, शुद्ध कर्म, उचित आजीविका, उचित प्रयास, उचित ध्यान, और उचित एकाग्रता।
महापरिनिर्वाण:
गौतम बुद्ध ने 80 वर्ष की उम्र में कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया, जो उनकी मृत्यु थी।
बुद्ध की शिक्षाएं:
अष्टांगिक मार्ग:
यह बुद्ध की शिक्षाओं का सार है, जो निर्वाण की ओर ले जाता है।
चार आर्य सत्य:
ये बुद्ध की शिक्षाओं के मूल हैं, जो दुख, दुख का कारण, दुख का अंत, और दुख के अंत की राह के बारे में बताते हैं।
अहिंसा:
बुद्ध ने अहिंसा को बहुत महत्व दिया,

मेरी संस्कृति…मेरा देश…मेरा अभिमान

बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं

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