नाराज़गी कभी भी इतनी लम्बी नहीं होनी चाहिये कि इंसान गुजर जाये और नाराजगी फिर भी बनी रह जायें। जीवन में शंका और विश्वास दोनों एक साथ नहीं चलते जहां शंका होती है वहां विश्वास हार जाता है और जहां विश्वास हो वहां शंका को हारना ही पड़ता है। इसलिए कहा भी गया है कि नाराजगी पानी के बुलबुले जैसी होनी चाहिये और जिस पर विश्वास करते हों उस पर शंका नहीं करनी चाहिये या शंका हो भी तो उसे बातचीत से दूर कर लेना चाहिये।
सुख छोड़ना पड़ता है सुख अर्जित करने के लिए। सफल लोग अपने मस्तिष्क को इस तरह का बना लेते हैं कि उन्हें हर प्रसंग सकारात्मक व सुखद लगता है, वास्तव में सफल लोग अपने निरंतर विश्वास की शक्ति से जीते हैं।
लेकिन ऐसे लोग असफलताओं का सामना भी उसी विश्वास से करते हैं, सफलता के लिए विश्वास पैदा कीजिये। लेकिन असफल होने पर भी उस विश्वास को बनाये रखिये, क्योंकि सफलता सार्वजनिक उत्सव है, जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक।
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