आज का प्रेरक प्रसंग
अनुपयोगी मित्र
किसी जंगल में एक बन्नी नामक खरगोश रहता था। उसके कई दोस्त थे। उसे अपने दोस्तों पर गर्व था। एक दिन बन्नी खरगोश ने जंगली कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनी। वह बहुत डरा हुआ था। उसने मदद मांगने का फैसला किया। वह जल्दी से अपने मित्र हिरण के पास गया। उसने कहा, “प्रिय मित्र, कुछ जंगली कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं। क्या तुम अपने नुकीले सींगों से उनका पीछा कर सकते हो?”
हिरण ने कहा, “यह सही है, मैं कर सकता हूँ। लेकिन अब मैं व्यस्त हूँ। आप भालू से मदद क्यों नहीं माँगते?”
बन्नी खरगोश भालू के पास दौड़ा। “मेरे प्यारे दोस्त, आप बहुत मजबूत हैं। कृपया मेरी मदद करें। कुछ जंगली कुत्ते मेरे पीछे हैं। कृपया उन्हें दूर भगाएं”, उसने भालू से अनुरोध किया।
भालू ने उत्तर दिया, “मुझे क्षमा करें। मैं भूखा और थका हुआ हूं। मुझे कुछ भोजन खोजने की जरूरत है। कृपया बंदर से मदद मांगें।”
बेचारा बन्नी बंदर, हाथी, बकरी और उसके सभी दोस्तों के पास गया। बन्नी को इस बात का दुख हुआ कि कोई उसकी मदद के लिए तैयार नहीं था।
वह समझ गया था कि उसे खुद ही कोई रास्ता निकालना होगा। वह एक झाड़ी के नीचे छिप गया। वह बहुत शांत पड़ा रहा। जंगली कुत्तों को बन्नी नहीं मिली। वे अन्य जानवरों का पीछा करते हुए चले गए।
बन्नी खरगोश ने सीखा कि उसे अपने अनुपयोगी मित्रों पर निर्भर न रहकर अकेले ही जीवित रहना सीखना होगा।
शिक्षा:-
दूसरों पर निर्भर रहने से बेहतर है कि आप खुद पर भरोसा करें।