꧁ जय द्वारकाधीश꧂
तन्त्र – एक गूढ़ रहस्य
“तन्त्र कोई चमत्कार नहीं, यह स्वयं को प्रकृति के पार ले जाने की साधना है।”
तन्त्र क्या है?
तन्त्र एक ऐसा गूढ़ रहस्य है जिसे समझ पाना सामान्य मनुष्य के लिए अत्यंत कठिन है। यह हमारी कल्पनाओं से परे है – जिसे हम सोच भी नहीं सकते, वह तन्त्र की साधनाओं द्वारा संभव हो जाता है।
🌿 तन्त्र का वास्तविक स्वरूप:
आज लोग कहते हैं – “ये करके दिखाओ, बाढ़ पहले क्यों नहीं बता पाए, शत्रुओं का नाश क्यों नहीं करते?”
ऐसे प्रश्न केवल इस भ्रम को दिखाते हैं कि लोगों ने तन्त्र को चमत्कार सिद्ध करने की कोई वस्तु मान लिया है। जबकि तन्त्र इन सब बातों से परे है।
तन्त्र का मार्ग साधक को प्रकृति के नियमों से भी पार जाने का अवसर देता है, परन्तु साधक कभी प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करता।
🔥 तन्त्र का उद्देश्य:
तन्त्र का उद्देश्य संसार के दोष सुधारना नहीं, अपितु स्वयं को परिशुद्ध ज्ञान से मुक्त करना है। महामारी, बाढ़ जैसी आपदाएँ स्वयं प्रकृति का संतुलन हैं – जो भी जैसा बोता है वही काटता है।
🌼 साधक की स्थिति:
साधक जानता है कि संसार में सबकुछ कर्मानुसार हो रहा है। उसका कार्य केवल अपनी साधना में स्थिर रहना है।
जिसे लोग चमत्कार समझते हैं, वह केवल साधना का प्रतिफल है – न कि उसका लक्ष्य।
🕉️ तन्त्र का वास्तविक उपदेश:
तन्त्र हमें अनुभव कराता है कि भौतिक इच्छाएँ अनंत हैं – इन्हें लेकर जीना केवल दुख का कारण है।
साधक इन्हीं इच्छाओं से परे होकर कर्म चक्र से मुक्ति के पथ पर बढ़ता है।
🙏 यही तन्त्र का रहस्य है – एक परिशुद्ध ज्ञान का मार्ग!
💫 सयम और साधना से ही सिद्धि – चमत्कार से नहीं!
🔱 ~ शिव अघोरनाथ ~ 🔱
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