कृपाचार्य//कौरव-पांडवों के कुलगुरु और महाभारत में एक महत्वपूर्ण पात्र, जिन्हें अमर माना जाता है. “अमर” या चिरंजीवी का मतलब ऐसे व्यक्ति से है जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार अमरत्व का वरदान प्राप्त है और वे अभी भी जीवित हैं, जिनमें अश्वत्थामा, परशुराम, हनुमान, विभीषण, राजा बलि, वेद व्यास, कृपाचार्य और मार्कंडेय ऋषि शामिल हैं. 

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अमर” या चिरंजीवी का मतलब ऐसे व्यक्ति से है जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार अमरत्व का वरदान प्राप्त है और वे अभी भी जीवित हैं, जिनमें अश्वत्थामा, परशुराम, हनुमान, विभीषण, राजा बलि, वेद व्यास, कृपाचार्य और मार्कंडेय ऋषि शामिल हैं. 
को महाभारत के एक महान योद्धा के रूप में जाना जाता है और माना जाता है कि वह आज भी जीवित हैं. 
परशुराम:
भगवान विष्णु के अवतार, जिन्हें अक्षय तृतीया के दिन अमरत्व का वरदान प्राप्त है. 
हनुमान:
भगवान राम के अनन्य भक्त, जिन्हें सदैव जीवित रहने का वरदान मिला है. 
विभीषण:
रावण के भाई, जिन्होंने भगवान राम का साथ दिया था और जिन्हें अमरत्व का वरदान मिला. 
राजा बलि:
एक दैत्य राजा, जिन्हें भगवान विष्णु ने पाताल लोक का राजा बनाया और वे पाताल में निवास करते हैं. 
वेद व्यास:
श्रीमद्भागवत महापुराण और महाभारत के रचयिता, जिन्हें श्रीहरि का अंश माना जाता है. 
कृपाचार्य:
कौरव-पांडवों के कुलगुरु और महाभारत में एक महत्वपूर्ण पात्र, जिन्हें अमर माना जाता है. 
मार्कंडेय ऋषि:
पुराणों में वर्णित एक और ऋषि, जिन्हें अमरत्व प्राप्त है. 
ये सभी व्यक्ति चिरंजीवी के रूप में पूजे जाते हैं, जिन्हें दीर्घकालिक जीवन और अमरता का
कृपाचार्य महर्षि गौतम शरद्वान्‌ के पुत्र। शरद्वान की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र ने जानपदी नामक एक देवकन्या भेजी थी, जिसके गर्भ से दो यमज भाई-बहन हुए। पिता-माता दोनों ने इन्हें जंगल में छोड़ दिया जहाँ महाराज शांतनु ने इनको देखा। इनपर कृपा करके दोनों को पाला पोसा जिससे इनके नाम कृप तथा कृपी पड़ गए। इनकी बहन कृपी का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ और उनके पुत्र अश्वत्थामा हुए। अपने पिता के ही सदृश कृपाचार्य भी परम धनुर्धर हुए। कुरुक्षेत्र के युद्ध में ये कौरवों के साथ थे और उनके नष्ट हो जाने पर पांडवों के पास आ गए। बाद में इन्होंने परीक्षित को अस्त्रविद्या सिखाई। भागवत के अनुसार सावर्णि मनु के समय कृपाचार्य की गणना सप्तर्षियों में होती है ।”

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