“ईश्वर में सैकड़ों हजारों गुण हैं। बहुत उत्तम उत्तम गुण हैं।” उनमें से दो-चार मुख्य गुण इस प्रकार से हैं। “ईश्वर सर्वव्यापक है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है, और न्यायकारी है आदि आदि।” “यदि इन दो चार गुणों को भी संसार के लोग अच्छी प्रकार से समझ लें, और उसके अनुसार अपना जीवन आचरण सुधार लें, तो सबका कल्याण हो जाएगा।”

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वेदों में बताया है, कि “ईश्वर में सैकड़ों हजारों गुण हैं। बहुत उत्तम उत्तम गुण हैं।” उनमें से दो-चार मुख्य गुण इस प्रकार से हैं। “ईश्वर सर्वव्यापक है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है, और न्यायकारी है आदि आदि।” “यदि इन दो चार गुणों को भी संसार के लोग अच्छी प्रकार से समझ लें, और उसके अनुसार अपना जीवन आचरण सुधार लें, तो सबका कल्याण हो जाएगा।”
“जैसे कि ईश्वर सर्वव्यापक है। चेतन अर्थात सर्वज्ञ है, इसलिए सदा सब जगह सबके कर्मों को देखता है। दिन हो या रात हो, अंधेरा हो या उजाला हो, खेत खलियान हो या नगर हो, जंगल हो या पहाड़ हो, वह सब जगह 24 घंटे सबके कर्मों को देखता है। सबके कर्मों का ठीक-ठीक हिसाब रखता है। यह सारा हिसाब रखने के लिए वह कोई डायरी पेंसिल कॉपी कंप्यूटर आदि कोई साधन नहीं रखता। सारा कार्य स्वयं करता है। अपनी अनन्त शक्ति से करता है। इसीलिए उसके कार्य में कभी कोई गड़बड़ नहीं होती। वह न्यायकारी है, इसलिए वह कभी किसी पर अन्याय नहीं करता। सदा सबके साथ ठीक-ठाक न्याय ही करता है।”
सारे कर्मों का हिसाब रखने के लिए वह किसी मशीन का प्रयोग इसलिए नहीं करता, क्योंकि संसार में ऐसी कोई मशीन आज तक नहीं बनी, और न बनेगी, जो बिगड़ती न हो। यह संसार का नियम है, कि “जो भी चीज बनती है, वह कभी न कभी अवश्य ही बिगड़ती है।”
“यदि ईश्वर भी ऐसे कंप्यूटर या कॉपी डायरी पैन आदि साधनों का प्रयोग करेगा, तो जिस दिन वे साधन बिगड़ जाएंगे, उस दिन ईश्वर के हिसाब में भी गड़बड़ हो जाएगी। और तब ईश्वर सर्वशक्तिमान भी नहीं रहेगा, क्योंकि उसे इन सब मशीनों आदि का सहारा लेना पड़ेगा।”
वेदों में जो ईश्वर का सही स्वरूप बताया है, उसके अनुसार “ईश्वर अपनी अनंत शक्ति से ही सारे काम स्वयं संपन्न कर लेता है। वह कभी किसी मशीन आदि का सहारा नहीं लेता। इसीलिए उसका कोई भी काम कभी नहीं बिगड़ता।”
तो यदि ईश्वर के सैकड़ों हजारों गुणों में से यदि इन दो चार गुणों को भी संसार के लोग समझ लें, कि “ईश्वर सर्वव्यापक है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है, और न्यायकारी है।” इसलिए यदि वे गलत काम करेंगे, तो ईश्वर उन्हें दंड अवश्य ही देगा। माफ बिल्कुल नहीं करेगा। और यदि अच्छे काम करेंगे, तो पुरस्कार/ इनाम भी अवश्य देगा।” क्योंकि न्याय का नियम यही है कि “कोई भी किया हुआ कर्म बिना फल दिए व्यर्थ नहीं जाएगा। चाहे वह अच्छा कर्म हो, चाहे बुरा कर्म हो, वह अपने सही समय पर फल अवश्य देगा।” “बस, इतना समझ लेने पर, सबका आचरण सुधर जाएगा। सब लोग अच्छे काम करेंगे, तथा बुराइयों से बचेंगे।”
“इसलिए ईश्वर के गुणों को ठीक-ठीक समझने का प्रयास करें, और उसके अनुसार अपने जीवन का सुधार करें। इसी में बुद्धिमत्ता और सबका कल्याण है, अन्यथा नहीं।”
—- “स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक – दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़, गुजरात.”

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