ऐसी है ईश्वर के नाम की महिमा!
ईश्वर के नाम का जप अनोखे आनंद को जन्म देता है। इसका वर्णन करना कठिन ही नहीं, असंभव भी है। भगवन्नाम हमारे अंदर एक प्रकार की अलौकिक शक्ति भर देता है। वह हमारे स्वभाव में आश्चर्यजनक परिवर्तन कर देता है। वह मनुष्य को देवताओं के समान गुणों से अलंकृत कर देता है। वह हमारे पुराने पापों, वासनाओं, संकल्पों, संदेह तथा अनेक प्रकार की मलिन चित्त-वृत्तियों को नष्ट कर देता है।
जिस प्रकार अग्नि में जलने योग्य प्रत्येक वस्तु को जला देने की स्वाभाविक शक्ति है। उसी प्रकार ईश्वर के नाम में भी पाप, मलिन-वृत्ति और वासना को जलाने के साथ अनंत, आनंद और अमर शांति प्रदान करने की भी शक्ति है। जैसे दावाग्नि में वृक्ष, काष्ठादि को जलाने की शक्ति स्वाभाविक है। उसी प्रकार ईश्वर के नाम में पाप-रूपी वृक्ष को उसकी जड़ और शाखाओं सहित जला डालने की अद्भुत और स्वाभाविक शक्ति है। ईश्वर का नाम भाव-समाधि द्वारा भक्त को ईश्वर से मिला देता है।
हे मनुष्य! ईश्वर के नाम की शरण में जा। निरंतर ईश्वर का नाम जपा कर। प्रत्येक श्वास के साथ ईश्वर के पवित्र नामों का उच्चारण कर। इस कराल कलिकाल में ईश्वरत्व तक पहुंचने के लिए नाम-स्मरण अथवा जप सबसे अधिक सुगम, शीघ्र, सुरक्षित और निश्चित मार्ग है। यह अमरत्व और अनंत आनंद का दाता है। हे परमात्मन, तेरी और तेरे नाम की महिमा अपरम्पार है।
तुम गणिका पिंगला की कहानी तो जानते ही होंगे। वह भी राम का नाम लेने से कितनी जल्दी एक साध्वी बन गई थी। कहा जाता है किसी चोर ने उसे एक तोता भेंट किया था। वह तोता राम का नाम लिया करता था और उस राम नाम की आवाज गणिका के कानों में जाती थी। तोते की वह रामधुन बहुत ही सुंदर और मधुर थी। वह उसकी ओर आकर्षित हुई और उसने अपना मन राम-राम शब्द की ओर लगाया। वह राम के साथ पूर्ण रूप से ऐसी मिली कि फिर उनसे कभी अलग नहीं हुई। ऐसी है ईश्वर के नाम की महिमा!
हरिऊँ
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