अपरा एकादशी 23 मई 2023 शुक्रवार🚩
एकादशी पर बना प्रीति योग, जमकर बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा
ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। अपरा एकादशी 23 मई 2023 शुक्रवार को है। इस बार इस एकादशी के दिन शुक्रवार और प्रीति योग का संयोग मिल रहा है। यह संयोग अत्यंत शुभ होता है।
शुक्रवार का दिन होने के कारण अपरा एकादशी का व्रत करने वालों पर देवी लक्ष्मी की भी कृपा होगी, वहीं प्रीति योग परिवार और सामाजिक जीवन में आपकी प्रीति, यश-कीर्ति बढ़ाने वाला रहेगा। अपरा एकादशी के दिन खरबूजा का भोग भगवान विष्णु को लगाना चाहिए।
क्या विशेष करें अपरा एकादशी की पूजा में
अपरा एकादशी के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर अपनी दैनिक पूजा संपन्न करें। इसके बाद एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति का दुग्धाभिषेक करें। मूर्ति न हो तो चित्र का सिर्फ पूजन करें। मूर्ति हो तो उसका अभिषेक करें। इसके बाद पंचोपचार पूजन करें।
अपरा एकादशी व्रत की कथा सुनें
श्रीहरि का पीले पुष्पों का श्रृंगार करें और पीले फल जैसे आम, केला, खरबूजा का भोग लगाएं। अन्य फल न मिले तो चलेगा लेकिन खरबूजे का नैवेद्य इस दिन अवश्य लगाना चाहिए। इसके बाद अपरा एकादशी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें और कर्पूर से आरती करें।
अपरा एकादशी का समय
एकादशी प्रारंभ : 23 मई प्रात: 1:12
एकादशी पूर्ण : 23 मई रात्रि 10:29
व्रत का पारण : 24 मई प्रात: 5:43 से 8:23
पवित्र स्नान का महत्व
शास्त्रों में अपरा एकादशी को अत्यंत पुण्यदायी और मोक्षदायी कहा गया है। इस एकादशी के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा भी रही है। गंगा, नर्मदा, कावेरी, गोदावरी आदि पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को जल का अर्घ्य दिया जाता है। यदि किसी के आसपास नदियों की सुविधा न हो तो इन नदियों का जल पानी में डालकर उसी से स्नान करना चाहिए। इससे पापों का क्षय होता है।
अपरा एकादशी के दिन गरीबों को भोजन, अन्न, फल, मिष्ठान्न आदि खिलाना चाहिए। 14 साल से कम आयु के बालक-बालिकाओं को दूध पिलाने का बड़ा महत्व है। इस एकादशी के दिन गायों को हरा चारा खिलाने से समस्त कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। अपरा एकादशी के दिन केले के पेड़ का पूजन करने से पारिवारिक जीवन में सुख शांति आती है।
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