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सोने की लंका भी कुबेर देव ने अपने ही लिए बनवाई थी लेकिन पिता के कहने पर कुबेरदेव ने सोने की लंका अपने भाई रावण को दे दी और कैलाश पर्वत पर अलकापुरी बसाई। एक बार रावण जब विश्व विजय पर निकला तो उसने अलकापुरी पर भी आक्रमण किया। रावण ने कुबेरदेव को हरा दिया और कुबेर से पुष्पक विमान छीन लिया।
सगे भाईयों के अलावा रावण का एक सौतेले भाई भी था जो की कुबेर थे। रामायण के अनुसार महर्षि पुलस्त्य ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे। उनका विवाह राजा तृणबिंदु की पुत्री से हुआ था। महर्षि पुलस्त्य के पुत्र का नाम विश्रवा था। विश्रवा का विवाह महामुनि भरद्वाज की कन्या इड़विड़ा के साथ हुआ। महर्षि विश्रवा के पुत्र का नाम वैश्रवण रखा गया। वैश्रवण का ही एक नाम कुबेर है। महर्षि विश्रवा की एक अन्य पत्नी का नाम कैकसी था। वह राक्षसकुल की थी। कैकसी के गर्भ से ही रावण, कुंभकर्ण व विभीषण का जन्म हुआ। 
कुबेर ने घोर तपस्या करने ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया और ब्रह्मा जी ने उन्हे उत्तर दिशा का स्वामी व धनाध्यक्ष बनाया था। साथ ही मन की गति से चलने वाला पुष्पक विमान भी दिया था।

सोने की लंका भी कुबेर देव ने अपने ही लिए बनवाई थी लेकिन पिता के कहने पर कुबेरदेव ने सोने की लंका अपने भाई रावण को दे दी और कैलाश पर्वत पर अलकापुरी बसाई।
एक बार रावण जब विश्व विजय पर निकला तो उसने अलकापुरी पर भी आक्रमण किया। रावण ने कुबेरदेव को हरा दिया और कुबेर से पुष्पक विमान छीन लिया।
कुबेर राजाओं के अधिपति तथा धन के स्वामी हैं। वे देवताओं के धनाध्यक्ष के रूप मे जाने जाते हैं। इसीलिए इन्हें राजाधिराज भी कहा जाता है।

गंधमादन पर्वत पर स्थित संपत्ति का चौथा भाग इनके नियंत्रण में है। उसमें से सोलहवां भाग ही मानवों को दिया गया है। 

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