विचार पुष्पांजली
कई लोग संतोष की आड़ में अपनी अकर्मण्यता को छिपा लेते हैं तो कई लोगों द्वारा प्रयत्न ना करना ही संतोष समझ लिया जाता है।
प्रयत्न करने अथवा पुरुषार्थ करने में असंतोषी रहो, प्रयास की अंतिम सीमाओं तक जाओ। एक क्षण के लिए भी अपने लक्ष्य को मत भूलो।
किसी कार्य को करते समय सब कुछ मुझ पर ही निर्भर है, इस भाव से कर्म करो एवं कर्म करने के बाद सब कुछ प्रभु पर ही निर्भर है, इस भाव से शरणागत हो जाओ।
!!!…यादो में बड़ी ताकत होती है वो कल को आज में ज़िंदा रखती है…!!!
जय श्री कृष्ण