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महर्षि दधीचि एक परम तपस्वी ऋषि थे, जो प्राचीन काल में हुए थे। वे अपने त्याग और महानता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी हड्डियों का दान कर दिया था ताकि इंद्रदेव को वृत्रासुर से लड़ने के लिए वज्र मिल सके.
महर्षि दधीचि के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें:
पिता: अथर्वा
माता: चित्ति
पत्नी: सुवर्चा या गभस्तिनी
पुत्र: पिप्पलाद

विशेषता: वेदों और शास्त्रों के ज्ञाता, दयालु, लोकहित के लिए समर्पित.
बलिदान: अपनी हड्डियों का दान कर वृत्रासुर को मारने के लिए इंद्र को वज्र प्रदान किया.
महर्षि दधीचि की कथा:
देवराज इंद्र को वृत्रासुर नामक असुर ने बहुत परेशान किया था। ब्रह्माजी ने बताया कि वृत्रासुर को केवल महर्षि दधीचि की हड्डियों से बने वज्र से ही मारा जा सकता है. इंद्र ने दधीचि से उनकी हड्डियों का दान मांगा। दधीचि ने लोकहित के लिए बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी हड्डियां दान कर दीं. उनकी हड्डियों से वज्र बनाकर इंद्र ने वृत्रासुर का वध किया.
महर्षि दधीचि की यह कहानी त्याग, बलिदान, और लोकहित के लिए समर्पित रहने की प्रेरणा देती है.

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