मौन व्रत के लाभ
विचारों और शब्दों पर नियंत्रण: विचारों को शब्दों में और शब्द को ध्वनियों में बदलने की अनुमति न देकर, हम समय के साथ अपनी विचार प्रक्रियाओं पर बेहतर नियंत्रण करना सीख सकते हैं। जब हमारे विचारों को हम नियंत्रित करना सीख लेते हैं, तो स्वयं ही महत्वपूर्ण और अमूल्य विचारों को हम अपने मस्तिष्क या मन में प्रवेश करने की अनुमति देते हैं।
आत्मनिरीक्षण और आंतरिक शांति: मौन व्रत धरण करने से हम आत्मनिरीक्षण करने में सक्षम होते हैं और अपनी आंतरिक शांति की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं। अपने विचारों को एक निश्चित अवधि के लिए बाहरी रूप से व्यक्त नहीं करने देने का सचेत विकल्प हमें स्वयं को गहराई में जानने में मदद करता है और साथ हीई आंतरिक शांति प्राप्त करने की दिशा में भी अग्रसर होता है।
क्रोध पर नियंत्रण: आपके आसपास बहुत से ऐसे लोग होंगे जो आपका दिल दुखाकार आपको नकारात्मक ऊर्जा से ग्रसित कर देते हैं जिसके परिणाम स्वरूप क्रोध का जन्म होता है और ये क्रोध आपके व्यवहार पर हावी हो जाता है। क्रोध एक ऐसी भावना है जिस पर नियंत्रण पाना बहुत से व्यक्तियों के लिए कठिन होता है। मौन व्रत के माध्यम से, कोई भावनात्मक आवेगों पर प्रतिक्रिया करना बंद कर देता है, वे उनकी उत्पत्ति का विश्लेषण करना सीखते हैं। मौन व्रत की मदद से व्यक्ति अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझता है और भावनाओं पर नियंत्रण करने में सक्षम होता है।
अपनी ऊर्जा को व्यर्थ व्यय होने से बचाना: इस बात को वो लोग बहुत अच्छे से समझ सकते हैं जो अंतर्मुखी स्वभाव के हैं। हम अपने दैनिक जीवन में बहुत सारी ऊर्जा सिर्फ अपने विचारों को लोगों तक पहुँचाने में व्यय कर देते हैं। यदि हम शांत रहकर अंतर्वैयक्तिक संचार में स्वयं को शामिल होने की अनुमति नहीं देते हैं तो हम अपनी ऊर्जा को बचाते हैं।