कुरुक्षेत्र में, भीष्म कुंड (Bhishma Kund) एक ऐसा स्थान है जहाँ महाभारत के युद्ध के दौरान पितामह भीष्म ने बाणों की शय्या पर लेटे हुए युद्ध को देखा था और उन्हें प्यास लगने पर अर्जुन ने तीर मारकर पानी की धारा निकाली थी, जिससे भीष्म कुंड का निर्माण हुआ ऐसा माना जाता है।
यहाँ कुछ और महत्वपूर्ण बातें हैं:
पौराणिक कथा:

भीष्म पितामह को बाणों की शय्या पर लेटे हुए देखा गया था, जहाँ उन्होंने अर्जुन को युद्ध के बारे में उपदेश दिए थे।
स्थान:
भीष्म कुंड, कुरुक्षेत्र के नरकातारी में स्थित है.
महाभारत का महत्व:
महाभारत में भीष्म पितामह द्वारा दिए गए ज्ञान को भारतीय वांगमय में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है.
शिखंडी:
शिखंडी के कारण भीष्म ने अपने शस्त्र रख दिए थे, क्योंकि वह स्त्री से पुरुष बना था, और अर्जुन ने शिखंडी को ढाल बनाकर भीष्म को अपने तीरों से छलनी कर दिया था.
भीष्म पितामह का मंदिर:
कुरुक्षेत्र में भीष्म पितामह का मंदिर भीष्म कुंड के पास स्थित है.
कुरुक्षेत्र:
कुरुक्षेत्र एक ऐसी जगह है जिसे पूरे भारत में अपनी महान सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है.
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने जरासंध के अत्याचार से बचने के लिए मथुरा छोड़कर समुद्र तट पर द्वारका नगरी की स्थापना की, जो बाद में समुद्र में समा गई.

कथा विस्तार:
स्थापना:
भगवान श्री कृष्ण ने अपनी प्रजा की रक्षा के लिए जरासंध के अत्याचार से मथुरा छोड़कर समुद्र तट पर एक दिव्य नगरी द्वारका की स्थापना की.
महाभारत के बाद:
माना जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद 36 वर्षों में, द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई.
गांधारी का श्राप:
युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के समय, गांधारी ने महाभारत युद्ध के लिए श्री कृष्ण को दोषी ठहराया और उन्हें श्राप दिया कि जिस तरह उनके कुल का नाश हुआ है, उसी तरह श्री कृष्ण के कुल का भी नाश होगा.
समुद्र में समा गई:
कहा जाता है कि गांधारी के श्राप के कारण, द्वारका नगरी समुद्र में समा गई.
यदुवंश का नाश:
यदुवंश की समाप्ति और भगवान श्री कृष्ण के देवलोक चले जाने के बाद, द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई.
अरब सागर में अवशेष:
कुछ लोग मानते हैं कि द्वारका नगरी के अवशेष आज भी अरब सागर में मौजूद हैं.
अन्य मान्यताएँ:
कुछ मान्यताएँ यह भी कहती हैं कि श्रीकृष्ण के द्वारका छोड़ने के बाद, अर्जुन द्वारका गए और श्रीकृष्ण के बचे हुए परिजनों को इंद्रप्रस्थ ले गए, और जैसे ही वे नगर से निकले, द्वारका समुद्र में समा गई.
धार्मिक महत्व:
द्वारका धाम हिंदू धर्म के चारों धामों में से एक है और इसका धार्मिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व है.