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आज का भगवद् चिंतन

भक्त का संग करें

भक्त का संग ही हमें सत्संग एवं श्रेष्ठ कर्मों की ओर ले जाता है। भक्त का संग अवश्य करो लेकिन भक्त के अपराध से सदैव बचो। जिस दिन हमारे हाथों से किसी भक्त का अपराध बन जाता है वास्तव में उस दिन हमारे हाथों से स्वयं भगवान का भी अपराध हो जाता है।

भक्तों के संग से ही जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। दुनिया में एक भी उदाहरण ऐसा नहीं, भक्त का संग करने से जिसका पतन हुआ हो।

भक्त अर्थात् ऐसा व्यक्तित्व जो सदैव सदाचरण में जीवन जीते हुए सतत निस्वार्थ भाव से परमार्थ, परोपकार और परहित व लोक मंगल के कार्यों में समर्पित रहता है और जिसकी दृष्टि में न कोई अपना है, न कोई पराया है।

भक्त के हृदय में संपूर्ण जगत के प्रति प्रभु मंदिर की भावना ही समाहित होती है। भक्त का संग ही जीवन उत्थान का मूल है।

जय श्री राधे कृष्ण

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