आज का भगवद् चिन्तन
🪷 प्रयास करें और आगे बढें 🪷
पवित्र हृदय से ही महान कार्य संपन्न हो सकते हैं इसलिए यदि हमारे जीवन का लक्ष्य श्रेष्ठ है तो हमारे हृदय की भावनायें भी निर्मल होनी चाहिए।
गलत मार्ग पर तेज गति से चलने की अपेक्षा धीरे-धीरे ही सही पर उचित मार्ग पर आगे बढ़ते रहना ही हमें एक दिन हमारे लक्ष्य की ऊँचाइयों तक अवश्य पहुँचा देगा।
उचित दिशा में गति ही जीवन की दशा भी बदल देती है अन्यथा जीवन भर की दौड़ से भी शून्य ही हाथ लगने वाला है।
सदैव प्रसन्न रहना सीखिए। जब हम प्रसन्न रहना सीख जाते हैं तब हमारी परेशानियाँ अपने-आप ही मूहँ मोड़कर भाग जाती हैं। परेशानियों की मधुमक्खियां उसी को घेरती हैं जो उनके आगे आत्मसमर्पण कर देते हैं।
हमारे जीवन निर्माण में सब कुछ नियति पर नहीं छोड़ा जा सकता है अपितु बहुत कुछ प्रयास हमारे भी होने चाहिए।
भावनाओं की पवित्रता, विचारों की शुद्धता, लक्ष्य की श्रेष्ठता और पुरुषार्थ की निरंतरता ही जीवन को महान बनाता है।
जय श्री राधे कृष्ण🪷