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आज का भगवद् चिंतन

जीवन में अनुशासन

जीवन को अनुशासन में जिया जाना चाहिए। पानी अनुशासन हीन होता है तो बाढ़ का रूप धारण कर लेता है। हवा अनुशासन हीन होती है तो आँधी बन जाती है और अग्नि यदि अनुशासन हीन हो जाती है तो महा विनाश का कारण बन जाती है।

अनुशासनहीनता स्वयं के जीवन को तो विनाश की तरफ ले ही जाती है साथ ही साथ दूसरों के लिए भी विनाश का कारण बन जाती है।

अनुशासन में बहकर ही एक नदी सागर तक पहुँचकर सागर ही बन जाती है। अनुशासन में बँधकर ही एक बेल जमीन से ऊपर उठकर वृक्ष जैसी ऊँचाई को प्राप्त कर पाती है और अनुशासन में रहकर ही वायु फूलों की सुगंध को अपने में समेटकर स्वयं सुगंधित होकर चारों दिशाओं को सुगंध से भर देती है।

गाड़ी अनुशासन में चले तो यात्रा का आनंद और बढ़ जाता है। इसी प्रकार जीवन भी अनुशासन में चले तो जीवन यात्रा का आनंद भी बढ़ जाता है।

🙏 जय श्री राधे कृष्ण

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