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आज का भगवद् चिन्तन

जीवन की विशिष्टता

कोई वस्तु हो, पदार्थ हो अथवा प्राणी जगत हो इस प्रकृति ने कुछ न कुछ विशिष्टता सबके भीतर प्रदान की है। प्रकृति कभी किसी के साथ अन्याय नहीं करती है। यदि इस दुनिया में पूर्ण कोई भी नहीं तो सर्वथा अपूर्ण भी कोई नहीं है।

अंतर केवल आपके दृष्टिकोण का है कि आप अपने जीवन के किस पहलू पर नजर रखते हैं। जो आपके पास नहीं है उस पर अथवा जो आपके पास है उस पर।

ये बात सत्य हो सकती है कि जो सामने वाले के पास है वो आपके पास नहीं हो पर जीवन को दूसरी दृष्टि से देखने पर पता चलेगा कि जो आपके पास है वो सामने वाले के पास भी नहीं है।

किसी की उपलब्धियों को देखकर ईर्ष्या करने से बचो क्योंकि ईर्ष्या की आग दूसरों को जलाए न जलाए पर स्वयं को अवश्य जलाती है।

संतोष और ज्ञान रूपी जल से इसे और अधिक भड़कने से रोको ताकि आपके जीवन में खुशियाँ जलने से बच सकें।

जय श्री राधे कृष्ण

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