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दृष्टि को बदलें

जीवन में ऐसी कोई बाधा नहीं, जिससे कुछ प्रेरणा न ली जा सके। दुःख में सुख खोज लेना, हानि में लाभ खोज लेना और प्रतिकूलताओं में भी अवसर खोज लेना इसी को सकारात्मक दृष्टि कहा जाता है।

रास्ते में पड़े हुए पत्थरों को आप मार्ग की बाधा भी मान सकते हैं और चाहें तो उन पत्थरों को सीढ़ी बनाकर ऊपर भी चढ़ सकते हैं।

जीवन का आनन्द वही लोग उठा पाते हैं जिनका सोचने का ढंग सकारात्मक होता है।

इस दुनिया में लोग इसलिए दुःखी नहीं कि उन्हें किसी वस्तु की कमी है अपितु इसलिए दुःखी हैं कि उनके सोचने का ढंग नकारात्मक है।

नकारात्मक सोचेंगे तो जो है, उसमें भी दु:खी रहेंगे और सकारात्मक सोचेंगे तो वो आपको अभावों में भी प्रसन्नतापूर्वक जीने की शक्ति प्रदान करेगा।

जय श्री राधे कृष्ण

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