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जया एकादशी व्रत आज


हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी मनाई जाती है, जो कि कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में आती है। यानी हर महीने दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
माघ महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। इसे सुख-समृद्धि और पवित्रता प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, जया एकादशी तिथि का प्रारंभ 7 फरवरी रात 9:26 बजे होगा, जिसका समापन 8 फरवरी को रात 8:15 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार, 8 फरवरी को जया एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

पारण समय

इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि यानी 9 फरवरी को सुबह 7:00 बजे से 9:17 बजे तक किया जाएगा। इस दौरान पारण करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होगी।

करें ये उपाय

इस दिन सच्चे मन से तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें और उनकी पूजा-अर्चना करें। तुलसी के सामने देशी घी का दीपक जलाएं और तुलसी की आरती करें। इससे घर के सभी दोष समाप्त होंगे और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।
माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए घर में साफ रखें। खासकर इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें। इससे धन से जुड़ी समस्याओं का निवारण होगा और परिवार के सदस्यों की उन्नति के द्वार खुलेंगे।

एकादशी के व्रत का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी के व्रत को बहुत ही ज्यादा लाभ देने वाला व्रत माना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। एकादशी के दिन कुछ जातक व्रत भी रखते हैं। जया एकादशी का व्रत करने से इंसान को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इंसान इस दिन दान करता है, उसको कई गुना फल प्राप्त होता है। साथ ही आर्थिक संकट दूर हो जाता है। भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा:

जया एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
हो सके तो पवित्र नदी या फिर घर में पानी की बाल्टी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
इसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाएं।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
इसके बाद पीले रंग के फल-फूल, वस्त्र, मिठाई अर्पित करें।
उसके बाद एकादशी व्रत का संकल्प लें।
ध्यान रहे कि एकादशी का व्रत निर्जला रखा जाता है।
दिन में एकादशी की कथा पढ़े।
शाम के समय पूजा के बाद ब्राह्मण, जरूरतमंद और गाय को भोजन दें।
अगले दिन पारण के समय अपने व्रत का पारण कर लें।
हो सके तो इस दिन आप दान दक्षिणा दे।
इससे घर में सुख समृद्धि आती है।
आर्थिक संकट भी दूर होता है।

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