एक चिंतन…………………………….
तुलना के खेल में मत उलझो
◉‿◉”क्योंकि”◉‿◉
इस खेल का कहीं कोई अंत नही…!
जहाँ तुलना शुरुआत होती है…… !!
वहीं से आनंद और अपनापन खत्म होता है…!!!
संबंध कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते…!!!!!
◉‿◉”क्योंकि”◉‿◉
संबंधों की खुशहाली के लिए झुकना होता है,सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है……!!!!
कमाई की कोई निश्चित परिभाषा नहीं होती है……..!!!!
◉‿◉”क्योंकि”◉‿◉
परवाह करने वाला दोस्त, दर्द समझने वाला पड़ोसी, और इज्जत करने वाले रिश्तेदार, यह सब कमाई के ही रूप हैं…..!!!!
‼️ जयश्रीराम ‼️
