आज का भगवद् चिन्तन
🪷संबंध निर्वाह की कला🪷
मधुर संबंधों के पुष्प ही हमारी जीवन बगिया को सुंदर एवं सुगंधित बनाते हैं। जीवन में संबंध आसानी से बन तो जाते हैं लेकिन आसानी से सम्भल नहीं पाते इसलिए प्रेम के शीतल जल व विश्वास की खाद के नित्य प्रयोग से इनकी जड़ों को मजबूत बनाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
अविश्वास की आँच एवं क्रोध की बाढ़ में संबंध का पौधा कभी नहीं पनप सकता है।
संबंधों की कदर भी पैसों के जैसे ही करनी चाहिए क्योंकि दोनों को कमाना मुश्किल है पर गँवाना बहुत आसान।
छोटी-छोटी बातें ही हमारे संबंधो में कड़वाहट घोल देती हैं इसलिए संबधों की मधुरता बनाये रखने के लिए छोटी-छोटी बातों को अनदेखा कर देना भी जीवन की एक बहुत बड़ी कला है।
यदि हमारे लिए स्व प्रतिष्ठा से अधिक मूल्य हमारे संबंधों का है तो जीवन में बहुत सारी बातों को अनसुना करके आगे बढ़ जाना ही इनको टिकाऊ रखने का एकमात्र उपाय है।
जय श्री राधे कृष्ण