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UP: यूपी की महिलाएं मतदान करने में पुरुषों से रहीं आगे… इन पांच जिलों में महिला मतदाता अधिक; सर्वे से खुलासा

महिला मतदाताओं के मताधिकार का इस्तेमाल करने के आंकड़े देखें तो एक सुखद एहसास होता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में औसतन 59.56% महिलाओं ने अपना पसंदीदा सांसद चुनने के लिए मतदान किया। जबकि प्रदेश में 58.52% पुरुष मतदाताओं ने ही वोट डाले। यानी पुरुषों के मुकाबले 1.04% ज्यादा। पर, यह सिक्के का एक पहलू है।

गिरि इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज की ओर से 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद मतदाताओं के सर्वे में सामने आया कि आज भी पांच में से तीन महिलाएं, यानी 60 प्रतिशत पति-भाई या अपने अन्य पुरुष रिश्तेदार से पूछकर या उनके बताए प्रत्याशी को वोट देती हैं।

राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान किया जा चुका है। पर, गिरि इंस्टीट्यूट ऑफ डवलपमेंट स्टडीज की सर्वे रिपोर्ट का साफ-साफ संदेश तो यही है कि अभी सियासत में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उनको स्वतंत्र निर्णय लेने में समर्थ बनाने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। हालांकि, सर्वे में यह भी पता चला कि 98% महिला मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में थे और वे इसके प्रति जागरूक भी थीं।

इन पांच जिलों में महिला मतदाता अधिक

संस्थान के सर्वे में यह भी सामने आया कि जहां भदोही में सर्वाधिक मतदाताओं का नामांकन हुआ था, वहीं बस्ती में सबसे कम। आगरा, बलिया, गोरखपुर, लखनऊ व भदोही में पुरुषों की अपेक्षा महिला मतदाताओं का नामांकन अधिक था।

भदोही में सर्वाधिक पुरुष मतदाताओं का नामांकन था, तो आगरा में महिलाओं का सर्वाधिक। 18 से 21 साल के युवाओं के नामांकन में गोरखपुर सबसे आगे रहा तो वाराणसी सबसे पीछे।

इन 14 जिलों में किया गया सर्वे लखनऊ, आगरा, बलिया, आजमगढ़, बलरामपुर, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, प्रयागराज, संत कबीरनगर, भदोही, सिद्धार्थनगर और वाराणसी में।
हमारी सामाजिक व्यवस्था और पारिवारिक स्थिति काफी हद तक इस सबके लिए जिम्मेदार है। अधिकतर गृहिणियां अपने परिवार के अनुसार ही निर्णय लेती और मतदान करती हैं। राजनीति में जैसे-जैसे महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, इस मामले में स्थिति बेहतर होगी। -प्रो. बीना राय, राजनीतिशास्त्री, अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज, लखनऊ
हमारा समाज पुरुष प्रधान है और इसका असर किसी न किसी रूप में दिखाई भी देता है। अभी राजनीतिक जागरूकता की भी कमी है। वहीं, ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अपनी बेहतरी के बारे में सोचकर मतदान नहीं करती हैं। वह खुद निर्णय लेने की स्थिति में नहीं होती हैं। -प्रो. कीर्ति पांडेय, समाजशास्त्री, पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय

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