किशोरावस्था से ही मेरे जीवन का एक स्वप्न था जो कभी साकार नहीं हुआ। विगत जन्मों में अधिक अच्छे कर्म नहीं किये थे इसलिए इस जन्म में बहुत अधिक संघर्ष और बहुत अधिक कष्टों का सामना करना पड़ा। लेकिन अब कोई क्षोभ या मलाल नहीं है।जो गुज़र गया सो गुज़र गया, उसे याद करके ना दिल दुखा -कृपा शंकर

कृपा शंकर२२ जनवरी २०२३ जो गुज़र गया सो गुज़र गया, उसे याद करके ना दिल दुखा ---.किशोरावस्था से ही मेरे जीवन का एक स्वप्न था जो कभी साकार नहीं हुआ।…

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धर्म के लक्षण//धर्म क्या ही अधर्म क्या है इस बात का फैसला वेद करते है । समस्त स्मृतियोंमे मनुस्मृति सबसे प्राचीन और अधिक प्रामाणिक मानी जाती है । उसमें मनुजीने धर्म के दस मुख्य अंग बताये है ।

धर्म के लक्षण मनुस्मृति-मनु ने धर्म के दस लक्षण गिनाए हैं:धर्म की गति बड़ी सूक्ष्म है । साधारण लोग इसे नही समझ पाते । इसलिए शास्त्र और सन्त जो बतलावे…

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गोदावरी जी (गौतमी) का धरती पर आगमन//एक बार पृथ्वी पर जल-वृष्टि नहीं होने के कारण चारों ओर अकाल फैला हुआ था। सरिता, ताल-तलैया और सरोवर सूख गए थे। कुओं में भी पानी नहीं रह गया था। कहीं भी हरियाली देखने को नहीं मिलती थी। मनुष्य, पशु और पक्षी जल के अभाव में तड़प रहे थे

गोदावरी जी (गौतमी) का धरती पर आगमन ~.एक बार पृथ्वी पर जल-वृष्टि नहीं होने के कारण चारों ओर अकाल फैला हुआ था। सरिता, ताल-तलैया और सरोवर सूख गए थे। कुओं…

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ସକାଳର ଭକ୍ତି ଅର୍ଘ୍ୟ//ସକଳ ତୀର୍ଥ ତୋ ଚରଣେ ବଦ୍ରିକା ଯିବି କି କାରଣେ.ପୁତ୍ରର ରିଷ୍ଟ ଖଣ୍ଡନ ନିମନ୍ତେ ମାତା ଯଶୋଦା ଭଗବାନଙ୍କୁ କି ପ୍ରାର୍ଥନା କଲେ।ଜୟ ଜଗନ୍ନାଥ

ସକାଳର ଭକ୍ତି ଅର୍ଘ୍ୟ ♾️⭕⭕♾️ ଏମନ୍ତ ଭାଳି ନନ୍ଦରାଣୀ। ମନ ବଚନ ଚିତ୍ତେ ଗୁଣି।ନ ଜାଣି ବାଇ ପ୍ରାୟ ହୋଇ। ଭାଳଇ ଦଶଦିଗ ଚାହିଁ। ପୁଣି କ୍ଷଣକେ ଅନୁମାନି। ଚିତ୍ତେ ଚିନ୍ତଇ ଭୟ ଘେନି।ଯାହାର ମାୟା ଘୋର ଭ୍ରମେ। ଜୀବ ଭ୍ରମଇ…

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ब्रह्माण्ड के चौदह भुवन, स्वर्ग और नर्क आदि अन्यान्य लोकों का वर्णन..समस्त संसारी जीवों का अस्तित्व नारकी, देव, तिर्यक (पशु, पक्षी, कीड़े,) और मनुष्य इन भेदो में पाया जाता है । इन्हें ही चार गतियां कहते हैं।

ब्रह्माण्ड के चौदह भुवन, स्वर्ग और नर्क आदि अन्यान्य लोकों का वर्णन भारतीय पौराणिक ग्रंथों में बहुत सारे अंश प्रक्षिप्त हैं। उन्हें बाद के समयों में अर्थलोलुप और परान्न्भोजी विद्वानों…

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Ravan Charitra: लंका पति रावण ने सीता माता को अपहरण करके 2 साल तक अपनी कैद में रखा था. लेकिन इस दौरान रावण ने एक बार भी माता सीता को छुआ भी नहीं था.रावण ने जब सीता माता को कैद करके अशोक वाटिका में रखा तो उस अशोक वाटिका में एक राक्षसी माता सीता की रक्षा के लिए रखी गई.

Ravan Charitra: लंका पति रावण ने सीता माता को अपहरण करके 2 साल तक अपनी कैद में रखा था. लेकिन इस दौरान रावण ने एक बार भी माता सीता को छुआ…

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बुरी आदतों से बचें//यदि बुरी आदतों को समय रहते सुधारा न गया तो वो किसी भी मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह उसके अपयश एवं अपकीर्ति का कारण बन जाती हैं- vijay kumar Sukla Ayodhya

आज का भगवद् चिंतन बुरी आदतों से बचें यदि बुरी आदतों को समय रहते सुधारा न गया तो वो किसी भी मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह उसके अपयश…

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विष्णु से सम्बन्ध// रावण विजयी हुआ। उसने कुबेर से उसका पुष्पक विमान छीन लिया। रावण, शिव की असीमित शक्ति से अत्यंत प्रभावित हुआ; वह उनका भक्त बन गया, और उसने शिव से उनकी स्मृति के रूप में चमत्कारी चन्द्रहास खड्‌ग प्राप्त किया।

रावण विजयी हुआ। उसने कुबेर से उसका पुष्पक विमान छीन लिया। उस क्षेत्र के प्राकृतिक सौन्दर्य से रावण अभिभूत था। वह सुमाली आदि के साथ पुष्पक पर भ्रमण के लिये…

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ପରିଚୟ//ସମସ୍ତେ ନିଜର ପରିଚୟ ଦେବା ପାଇଁ ପ୍ରାୟ ବ୍ୟାକୁଳ ହୋଇଥାନ୍ତି । ଏଥି ନିମନ୍ତେ ପ୍ରତ୍ୟେକେ ନିଜ–ନିଜ ଢଙ୍ଗରେ ଚେଷ୍ଟା ମଧ୍ୟ କରିଥାନ୍ତି । କେହି ଧନ କୁବେର ହେବା ପାଇଁ ପ୍ରୟାସ କରିଥାଏ ତ କେହି ଉଚ୍ଚପଦ ପାଇଁ ଉପାୟ ପାଞ୍ଚିଥାଏ.ଯିଏ ନିଜର ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ଵ ଓ ଆଚରଣର ନିରନ୍ତର ସମୀକ୍ଷା କରି ଏହାକୁ ବିକଶିତ କରିନିଅନ୍ତି, ସେ ନିଜର ପରିଚୟକୁ ମଧ୍ୟ ସ୍ବତଃ ବିକଶିତ କରିଥାନ୍ତି l

ପରିଚୟ ସମସ୍ତେ ନିଜର ପରିଚୟ ଦେବା ପାଇଁ ପ୍ରାୟ ବ୍ୟାକୁଳ ହୋଇଥାନ୍ତି । ଏଥି ନିମନ୍ତେ ପ୍ରତ୍ୟେକେ ନିଜ–ନିଜ ଢଙ୍ଗରେ ଚେଷ୍ଟା ମଧ୍ୟ କରିଥାନ୍ତି । କେହି ଧନ କୁବେର ହେବା ପାଇଁ ପ୍ରୟାସ କରିଥାଏ ତ କେହି ଉଚ୍ଚପଦ ପାଇଁ…

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मनुष्य को मिलने वाला सुख दुःख लाभ हानि यश अपयश कीर्ति अपकीर्ति सफलता और असफलता उसके पौरुष अर्थात कर्म और दैव अर्थात भाग्य के संयोग से व्यवहारिक और स्वभावतः फलित होने के परिणाम स्वरूप होता है

पौरुषं कर्म दैवं च फलवृत्तिस्वभावतः।न चैव तु पृथग्भावमधिकेन ततो विदुः।।63एतदेवं च नैवं च न चोभे नानुभे न च।स्वकर्मविषयं ब्रूयु: सत्त्वस्था: समदर्शिनः।।64 मनुष्य को मिलने वाला सुख दुःख लाभ हानि यश…

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